किसान आंदोलन की आड़ में दूरसंचार टावरों में तोड़फड़ की सीओएआई ने की निंदा
खरी खरी संवाददाता
नयी दिल्ली,31 दिसंबर। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन में विशेषकर पंजाब में दूरसंचार टावऱों में बड़ी संख्या में तोड़फोड़ की सेलुलर आपरेटरस एसोसिएशन आफ इंडिया( सीओएआई) ने कड़ी निंदा करते हुए कहा इससे राज्य में संपर्क सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। किसान आंदोलन के दौरान पंजाब में विशेष रूप से मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो के टावरों में तोड़फोड़ की गई है।
सीओएआई के महानिदेशक एस पी कोचर ने बयान जारी करदूरसंचार सेवाओं को लाखों लोगों के जीवनयापन की."जीवन रेखा" बताते हुए कहा दूरसंचार टावरों में तोड़फोड़ से सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं और लोगों को इसकी वजह से खासी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है सीओएआई ने बयान में कहा, " हम किसी भी मुद्दे पर लोगों के अधिकार का पूरा सम्मान करते हैं किंतु आंदोलन की आड़ में दूरसंचार नेटवर्क के बुनियादी ढांचे में तोड़फोड़ और विरोध के रूप में दूरसंचार सेवाओं को बाधित करने की कड़ी निंदा करते हैं।" सीओआईए के सदस्यों में मुख्यरूप से रिलायंस जियो, वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल शामिल हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की अपील और चेतावनी के बावजूद राज्य में आंदोलन की आड़ में तथाकथित किसानों के मोबाइल टावरों की बिजली काटने और उनको नुकसान पहुंचाने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और डेढ़ हजार से अधिक टावरों को निशाना बनाकर उनमें तोड़फोड़ की जा चुकी है। यही नहीं कुछ जगहों पर मोबाइल टावरों से जनरेटर लूटपाट के मामले भी सामने आए हैं। कैप्टन सिंह ने अपील के बावजूद टावरों में तोड़फोड़ को देखते हुए सोमवार को पुलिस को कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों आंदोलन के दौरान मोबाइल टावरों के साथ तोडफ़ोड़ और राज्य में दूरसंचार सेवाओं को बाधित करने के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। टावर एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन (टीएआईपीए) के अनुसार टावरों के कनेक्शन बाधित होने से पंजाब के अधिकांश जिलों में 12000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में दूर संचार सेवा बाधित हुई है। किसान लगातार टावरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। सोमवार को किसानों ने 1600 मोबाइल टावरों को संचालित करने में उपयोग होने वाली तार को जला दिया। सीओएआई ने कहा कि कोरोना के संकटकाल दूरसंचार सेवाएं लाखों लोगों के जीवनयापन का साधन बनी। संकट के इस दौर में छात्रों ने ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखी। पेशेवरों ने वर्क टू होम को अपनाया और कठिन समय में ऑनलाइन स्वास्थ्य परामर्श सेवाएं बीमारों का सहारा बनी।