नहीं रहे वीर रस के कवि पंवार राजस्थानी
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 5 फरवरी। पंवार राजस्थानी के नाम विख्यात वीर रस के कवि हरिओम सिंह पंवार का 88 साल की उम्र में भोपाल में हार्ट अटैक से निधन हो गया। उनकी अंत्येष्टि भोपाल के भदभदा विश्राम घाट पर की गई।
अनेक वर्षों तक मध्यप्रदेश लेखक संघ के उपाध्यक्ष रहे कवि पंवार राजस्थानी हृदय रोग से पीड़ित थे।हृदय नलिकाओं में अवरोध के कारण उनकी शल्यक्रिया होना थी, लेकिन उसके पूर्व ही 3 फरवरी को हृदयाघात से उनका निधन हो गया। उनकी अन्त्येष्टि में बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं गणमान्य नागरिक मौजूद थे। अंतिम संस्कार के बाद शोकसभा में कवि धूमकेतु तथा लेखक संघ के प्रदेशाध्यक्ष डा. राम वल्लभ आचार्य ने पंवार राजस्थानी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। शोक संवेदनाएं व्यक्त करने वाले वक्ताओं ने श्री पँवार के निधन को साहित्य की ओजस्वी धारा की अपूरणीय क्षति निरूपित किया। उपस्थित जन समुदाय ने दो मिनिट का मौन धारणकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
राजस्थान के झालावाड़ में 1 सितम्बर 1936 को जन्मे हरिमोहन सिंह पँवार साहित्य जगत में कवि पंवार राजस्थानी के नाम से विख्यात हुए। युवावस्था में ही राजस्थान की बलिदानी परम्परा से प्रभावित पँवार की लेखनी से वीर रस की काव्य धारा प्रवाहित होने लगी। उन्होंने 1962 से ही कवि सम्मेलनों के मंचों से काव्यपाठ कर देश प्रेम की अलख जगाई। आपने मूर्धन्य कवि रामधारी सिंह दिनकर, डा. शिवमंगल सिंह 'सुमन', डा. श्याम नारायण पांडे, गोपाल दास नीरज, बालकवि बैरागी, सोम ठाकुर, अशोक चक्रधर, शैल चतुर्वेदी, हरिओम पंवार, ताज भोपाली, कैफ भोपाली, बटुक चतुर्वेदी से लेकर वर्तमान कवियों तक तीन पीढ़ियों के साथ कवि सम्मेलनों के मंचों पर देशभक्ति की अलख जगायी। महाराणा प्रताप, पृथ्वी राज चौहान, राणा सांगा, बप्पा रावल, गोरा बादल, गुरुपुत्र फतेह सिंह - जोरावर सिंह, रानी पद्मावती, रानी कर्मावती, हाड़ा रानी, पन्नाधाय जैसी बलिदानी विभूतियों की गाथाओं पर आधारित आपकी कविताएँ बहुत प्रसिद्ध हुईं। उनकी रचनाओं का संकलन "हिन्दुस्तान नहीं बदलेगा" वर्ष 2021 में प्रकाशित हुआ।