हेल्पलेस हो रही है 181 सीएम हेल्पलाइन, शिकायतें हल करने का ग्राफ गिरा
सुमन त्रिपााठी
भोपाल, 22 अगसत। आम जनता की शिकायतों के त्वरित निराकरण के लिए शुरू की गई सीएम हेल्प लाइन सरकार बदलने के साथ नौकरशाही के बदले रवैये का शिकार हो रही है। पुरानी सरकार की इस योजना को बनाए रखने की मुख्यमंत्री की इच्छा के बाद भी अधिकारियों कर्मचारियों के रवैये में आई लापरवाही के कारण सीएम हेल्प लाइन में शिकायतों के निराकरण का ग्राफ गिर रहा है। इस साल शिकायतों के निराकरण का प्रतिशत 54 रह गया है जो पहले से कम है।
‘शासन और नागरिकों के बीच सिर्फ एक काल का फासला’ जैसी टैग लाइन के साथ सीएम हेल्प लाइन की शुरूआत तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की सरकार ने जुलाई 2014 में की थी। इसके तहत सिर्फ एक नंबर 181 पर काल करके प्रदेश में कहीं से भी और किसी भी विभाग से संबंधित शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। सरकार की ओर से विभिन्न विभागों के करीब 13 हजार अधिकारियों और कर्मचारियों को चार स्तरों पर सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों के निराकरण के लिए जिम्मेदारी दी गई। शुरूआती दौर में शिकायतों के निराकरण की गति धीमी रही है, लेकिन बाद में इसने गति पकड़ ली। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अचानक सीएम हेल्प लाइन के कंट्रोल रूम पहुंचकर शिकायत करने वालों से बात करनी शुरू कर दी। लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ एक्शन भी लिए गए। यही कारण है कि 2017 और 2018 में शिकायतों के निराकरण का ग्राफ 62 फीसदी से ऊपर चला गया। प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ पुरानी सरकार की कई योजनाएं भी बदल दी गईं, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जनता से जुड़ी सीएम हेल्पलाइन में कोई बदलाव नहीं किया। इसके बावजूद प्रशासनिक अमले ने लापरवाही शुरू कर दी। इसके कारण शिकायतों के निराकरण में कमी आने लगी है। पिछले सालों मे जहां शिकायतों के हल होने का ग्राफ 62 प्रतिशत से ज्यादा हो गया था, वहीं इस साल अभी तक यह ग्राफ गिरकर 54 प्रतिशत पर आ गया है। इस तरह शिकायतों के निराकरण में 8 फीसदी की भारी कमी हुई है।
सीएम हेल्पलाइन का दावा है कि उसे अभी तक 89 लाख से ज्यादा शिकायतें मिली हैं और उनमें से करीब 86 लाख शिकायतों का निराकरण कर दिया गया। हेल्पलाइन के इस दावे को पिछले सालों के आंकड़े मजबूत बनाते हैं,लेकिन इस साल के आंकड़े दावों को कमजोर करते हैं। बताया जाता है कि इस साल करीब 14 लाख शिकायतें आई, जिनमें से करीब 3 लाख का निराकरण ही नहीं हो सका और उन्हें बंद कर दिया गया। कई शिकायतों का निराकरण आधा अधूरा ही हो पाया है। एक बैठक में मुख्यमंत्री भी सीएम हेल्प लाइन की शिकायतों के निराकरण में आ रही कमी को लेकर अप्रसन्नता जाहिर कर चुके हैं। लोगों का मानना है कि सीएम हेल्प लाइन को अब हेल्प की जरूरत है ताकि सुशासन को बेहतर करने की दिशा में उठाया गया यह कदम सही दिशा में चलता रहे।