सियासी आग में ज्यादा झुलस रहा संदेशखाली गांव

Feb 15, 2024

खरी खरी संवाददाता

कोलकाता, 15 फरवरी। पश्चिम बंगाल के उत्तर 24-परगना ज़िले का अनजाना गांव संदेशखाली आग की लपटों में ऐसा झुलसा की अब पूरा देश इस छोटे से गांव को जान रहा है। बांग्लादेश की सीमा से सटा यह गांव हिंसा की आग से ज्यादा सियासी आग में झुलस रहा है। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के नेताओं पर महिला उत्पीड़न के आरोपों ने लोकसभा चुनावों तक यहां की आग ठंढी होने की उम्मीदें खत्म कर दी हैं।

पश्चिम बंगाल में बाग्लादेश की सीमा पर कालिंदी नदी किनारे बसा छोटा सा गांव  संदेशखाली मात्र डेढ़ महीने में दुनिया में चर्चित हो गया। असल में जनवरी के पहले हफ्ते में ईडी की टीम ने पश्चिम बंगाल के राशन घोटाले में प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी के नेता शाहजहां शेख के ठिकानों पर छापेमारी की। इसके बाद ईडी की टीम पर हमला हो गया और ईडी के अफसरों की गाड़ियां तोड़ दी गईं। इस घटना ने यहां की महिलाओं को उकसा दिया और वे शाहजहां शेख तथा उसके समर्थकों की गुंडागर्दी के खिलाफ सड़क पर उतर पड़ीं। महिलाओं ने टीएमसी नेताओं के घरों और पोल्ट्री फार्म में आग लगा दी। महिलाओं का आरोप है कि शेख के समर्थक गांव की महिलाओं का य़ौन उत्पीड़न करते हैं औऱ सत्तारूढ़ पार्टी का प्रमुख नेता होने के कारण शाहजहां शेख औऱ उसके समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई तो दूर शिकायत तक नहीं सुनी जाती है। महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोपों और महिलाओं द्वारा आगजनी की खबरों ने संदेशखाली से कोलकाता और दिल्ली तक हंगामा खड़ा कर दिया। तृणमूल कांग्रेस नेताओं के घरों और मुर्गी पालन केंद्र पर नाराज़ महिलाओं के हमले और आगजनी के बाद अब संदेशखाली राज्य का सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। इस घटना की गूँज अब राजधानी कोलकाता ही नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली तक पहुँच गई है। संदेशखाली मामले में शुरुआती दौर में चुप्पी साधने और पार्टी के एक नेता को निलंबित करने के बाद अब तृणमूल कांग्रेस ने भी आरोपों का जवाब दिया है। पार्टी ने स्थानीय नेताओं के ख़िलाफ़ उठने वाले आरोपों को बंगाल विरोधी प्रचार बताया है। तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने पार्टी के नेताओं के ख़िलाफ़ लगे आरोपों को ख़ारिज कर दिया है। उन्होंने बुधवार को पत्रकारों से कहा, "राष्ट्रीय महिला आयोग के प्रतिनिधियों ने इलाक़े का दौरा करने के बाद कहा है कि उनको बलात्कार या महिलाओं को जबरन उठाने संबंधी कोई शिकायत नहीं मिली है, लेकिन इसके बावजूद बीजेपी और सीपीएम सुनियोजित तरीक़े से बंगाल विरोधी प्रचार कर रही है।"

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संदेशखाली में फैली अशांति के लिए ईडी और बीजेपी को ज़िम्मेदार ठहराया है। ममता बनर्जी ने गुरुवार को विधानसभा में कहा, "ईडी शाहजहाँ शेख़ को निशाना बना कर संदेशखाली में घुसी थी। उसी समय से अल्पसंख्यकों और आदिवासियों के बीच गड़बड़ी फैलाई गई थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने वहाँ अपना ठिकाना बनाया है।" मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इलाक़ा वैसे भी संवेदनशील है, वहाँ बाहरी लोग मुँह पर मास्क पहन कर गड़बड़ी फैला रहे हैं। पुलिस ने बुधवार को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार के नेतृत्व में संदेशखाली जाने की कोशिश करने वाले नेताओं को बहुत पहले टाकी में ही रोक दिया।

सरकार ने सीआईडी की डीआईजी सोमा दास मित्र के नेतृत्व में एक 10-सदस्यीय जाँच टीम का गठन किया है जो महिलाओं से बातचीत करेगी। संदेशखाली के तृणमूल कांग्रेस विधायक सुकुमार महतो ने भी महिलाओं के शारीरिक अत्याचार और बलात्कार के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष दावा करते हैं, "संदेशखाली में अब शांति है और परिस्थिति नियंत्रण में है। बीजेपी और सीपीएम कुछ इलाक़ों में गड़बड़ी फैलाने का प्रयास कर रही है। अगर स्थानीय लोगों की कोई शिकायत होगी तो पुलिस, प्रशासन और पार्टी उसके निपटारे के लिए ज़रूरी क़दम उठाएगी।