संघ वार्षिक समन्वय बैठक में बीजेपी की स्थिति पर करेगा मंथन
खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली, 14 जून। भाजपा से मतभेद की खबरों के बीच संघ (आरएसएस) लोकसभा चुनावों में भाजपा की स्थिति कमजोर होने पर मंथन की तैयारी में जुट गया है। यह मंथन अगस्त के अंत में संघ की केरल में होने जा रही वार्षिक समन्वय बैठक में किया जाएगा। इस बैठक में आरएसएस के साथ बीजेपी के बड़े नेता भी शामिल होंगे। इस बार केरल में बीजेपी का खाता खुलने से इस बैठक की महत्ता बढ़ गई है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की वार्षिक समन्वय बैठक इस बार 31 अगस्त से केरल के पलक्कड़ में होने जा रही है। यह बैठक तीन दिन चलेगी और कई मुद्दों पर चर्चा होगी। आरएसएस की इस तरह की वार्षिक समन्वय बैठक में संघ के बड़े अधिकारियों के साथ-साथ भाजपा सहित उसके सभी अनुशांगिक संगठनों के प्रमुख नेता शामिल होते हैं। इस बार बैठक केरल में आयोजित किए जाने के पीछे बड़ा संघ की विस्तारवादी सोच मानी जा रही है। संघ लंबे समय से दक्षिण भारत में काम करते हुए भाजपा के लिए पृष्ठभूमि तैयार कर रहा है। इसी के चलते भाजपा ने दक्षिण में सफलता हासिल की है। इस बार उसे केरल में भी एक लोकसभा सीट पर विजय मिली है। फिल्म अभिनेता से नेता बने सुरेश गोपी ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में त्रिशूर सीट 74 हजार से ज्यादा वोटों से जीती है। ऐसे में संघ की वार्षिक समन्वय बैठक केरल में होने की महत्ता बढ़ जाती है। केरल में खाता खुलने से बीजेपी भले ही खुश हो लेकिन संघ इस बात को लेकर चिंतित है कि दक्षिण भारत में बीजेपी की सीटें नहीं बढ़ी हैं। कई नई सीटों पर विजय हासिल करने के बाद भी बीजेपी पिछली बार के 29 सीटों के आंकड़े से आगे नहीं बढ़ पाई है। इस समन्वय बैठक को राज्य में संदेश भेजने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जहां आरएसएस कार्यकर्ता अक्सर हिंसा का शिकार होते रहे हैं। इस बैठक से बीजेपी की स्थिति भी मजबूत होगी।
संघ की वार्षिक समन्वय बैठक हर साल होती है और इसमें संघ के अनुशांगिक संगठनों के साथ भाजपा के बड़े नेता शामिल होते हैं। इस बार इस बैठक की चर्चाएं इसलिए गर्म हैं कि हाल में संघ और बीजेपी के मध्य मतभेद की खबरें सुर्खियों में थीं। हालांकि संघ ने मतभेद की खबरों को सिरे से खारिज किया है। मतभेद की खबरों को तब मिला जब चुनाव के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संघ से चुनाव में मदद के सवाल पर कहा कि भाजपा अब परिपक्व संगठन हो गया है, उसे किसी की मदद की जरूरत नहीं है। इसके बाद लोकसभा चुनाव के परिणाम भाजपा के लिए निराशाजनक आए तो इसे संघ की नाराजगी से जोड़ दिया गया। इसके बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी ‘एक सच्चा सेवक मर्यादा बनाए रखता है, वह काम करते समय मर्यादा का पालन करता है। उसमें अहंकार नहीं होता।’
ने विवाद को और हवा दे दी। हालांकि संघ ने स्पष्ट किया है कि संघ प्रमुख की यह टिप्पणी किसी और संदर्भ में थी। यह टिप्पणी प्रधानमंत्री या किसी भी भाजपा नेता के संदर्भ में नहीं थी। लेकिन इसके बाद आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार के बयान से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई। इंद्रेश कुमार ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था ‘जो पार्टी राम की पूजा करती थी, वह अहंकारी हो गई। 2024 के चुनाव में वह सबसे बड़ी पार्टी बन तो गयी, लेकिन जो उसे सत्ता मिलनी चाहिए थी, उसे भगवान राम ने अहंकार के कारण रोक दिया।’ इस बीच आरएसएस के एक पदाधिकारी का कहना है कि यह इंद्रेश कुमार की निजी राय है। इससे यह माना जा रहा है कि संघ हर तरह के मतभेद को दरकिनार कर दक्षिण भारत में भाजपा के विस्तार की नई कवायद में जुटने जा रहा है।