शिवराज सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कितना विश्वसनीय
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 16 दिसंबर। कांग्रेस विधानसभा के 19 तारीख से प्रस्तावित शीत कालीन सत्र में शिवराज सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है। नेता प्रतिपक्ष डा गोविंद सिंह की ओर से वरिष्ठ विधायक पीसी शर्मा ने विधानसभा के प्रमुख सचिव को सूचना पत्र सौंपा। करीब 18 साल से मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश का नेतृत्व कर रहे शिवराज सिंह के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का यह दूसरा मौका होगा। इसके पहले नेता प्रतिपक्ष के रूप अजय सिंह 2011 में अविश्वास प्रस्ताव लाए थे।
विपक्ष में बैठे दलों का अधिकार और नैतिक दायित्व है कि वह सरकार पर अंकुश लगाए। इसके लिए वह मुद्दे उठाने के साथ सरकार के खिलाफ विधायी सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाता है। यही मध्यप्रदेश में विपक्ष में बैठी कांग्रेस करने जा रही है.. लेकिन सवाल उठता है कि कांग्रेस को सरकार पर भरोसा करते लंबा समय हो गया, फिर अब किस बात पर अविश्वास हो गया। भरोसे की बात इसलिए कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीब 18 साल के कार्यकाल में विपक्ष सिर्फ एक बार अविश्वास प्रस्ताव ला सका और सरकार के खिलाफ सड़क पर जंगी आंदोलन भी उंगलियों पर गिनी जाने वाली संख्या में ही हुए हैं। विपक्ष ने सरकार को सिर्फ मीडिया के कैमरों के सामने ही कोसा है। बहुत हुआ तो ट्विटर पर चिड़िया उड़ा दी या फिर वाट्सएप ग्रुपों में तीखी टिप्पणी कर दी। ऐसा विपक्ष अगर अविश्वास प्रस्ताव लाता है तो आम आदमी के मन में सवाल उठना स्वाभाविक है कि आज क्या हो गया।
राज्य सरकार के खिलाफ कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव को लेकर लंबे समय से तैयारी कर रही है। इसमें प्रमुखता से भ्रष्टाचार के मामले रखे जाएंगे। पोषाहार, प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड की शिक्षक व पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी, कारम बांध में अनियमितता, किसानों की ऋण माफी न करके अपात्र बनाए रखने, एमपी-पीएससी की परीक्षाएं न होने, ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ न दिला पाने, लोकायुक्त व आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अधिकारियों-कर्मचारियों के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति न देने समेत अन्य मुद्दे शामिल हैं। कांग्रेस की योजना इन मुद्दों को लेकर पुस्तिका छपवाने की भी है। इसे विधानसभा चुनाव से पहले सभी जिलों में जनता में बांटा जाएगा।
अविश्वास प्रस्ताव की सूचना विधानसभा सचिवालय को देने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी विधायक पीसी शर्मा कहते हैं कि प्रदेश में भ्रष्टाचार, महंगाई, खाद की किल्लत से हर तबका परेशान है। कर्मचारियों की मांगों को भी सरकार नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने कहा कि 18 दिसंबर को विधायक दल की बैठक में अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जिसे 19 दिसंबर को सदन में रखा जाएगा। कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव को लेकर लंबे समय से तैयारी कर रही है। इसमें प्रमुखता से भ्रष्टाचार के मामले रखे जाएंगे। पोषाहार, प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड की शिक्षक व पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी, कारम बांध में अनियमितता, किसानों की ऋण माफी न करके अपात्र बनाए रखने, एमपी-पीएससी की परीक्षाएं न होने, ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ न दिला पाने, लोकायुक्त व आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अधिकारियों-कर्मचारियों के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति न देने समेत अन्य मुद्दे शामिल हैं।
कांग्रेस को लग रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव लाकर वह जनता के बीच यह संदेश देने में सफल होगी कि वह जनता के मुद्दों को लेकर सरकार के खिलाफ आक्रामक है, लेकिन जनता सवाल पूछ सकती है कि यह आक्रामकता सड़क पर क्यों नहीं दिखाई पड़ती है। जिस कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष और पार्टी अध्यक्ष की कई मुद्दों पर राय अलग अलग हो, जिस कांग्रेस में पार्टी के बजाय हर गुट के अपने अपने विधायक हैं, जिस कांग्रेस में कमलनाथ के आगे किसी की नहीं चलती है, वह कांग्रेस कैसे जनता के भरोसे पर खरी उतेरगी। अगर जनता के इन सवालों पर भरोसेमंद जवाब कांग्रेस नहीं दे पाएगी तो अविश्वास पर अविश्वास हो जाएगा।