विवादों के मंत्री बिसेन
सुमन “रमन”
शिवराज सरकार के पावरफुल मिनिस्टर गौरीशंकर बिसेन का विवादों से नाता खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। कृषि एवं कल्याण किसान मंत्री बिसेन आए दिन अपने बयानों या कारनामों से चर्चा में बने रहते हैं। इसके चलते सरकार और भाजपा दोनों को मुश्किल का सामना करना पड़ता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सीधे तौर पर कई बार गौरीशंकर बिसेन को समझाइस दे चुके हैं, लेकिन बिसेन हैं कि आए दिन कोई न कोई नया बवाल खड़ा कर देते हैं।
बिसेन को लेकर नया विवाद बालाघाट सेवा सहकार समिति के अध्यक्ष के खिलाफ चल रही जांच में मनमाफिक फैसले के लिए पंजीयक न्यायालय पर दबाव डालने का है। आरोप है कि उपपंजीयक न्यायालय में चल रहे इस मामले को निपटाने के लिए मंत्री जी ने उपपंजीयक नेता उइके को न सिर्फ फोन किया बल्कि ये निर्देश भी दिए की सरकारी समिति के अध्यक्ष राजकुमार रहंगडाले के पक्ष में फैसला सुनाने को कहा। उपपंजीयक ने न सिर्फ ऐसा किया बल्कि कोर्ट के फैसले में भी इसका उल्लेख कर दिया। उपपंजीयक ने फैसले में लिखा है कि कृषि मंत्री गौरीशकर बिसेन ने 28 जनवरी 2007 को मोबाइल से फोन करके उन्हें वादी के पक्ष में फैसला सुनाने का निर्देश दिया। उपपंजीयक ने फैसले में आगे लिखा है कि इससे साबित होता है कि वादी अनुचित दबाव डलवा कर कार्य करवाने का आदी है। इससे न्यायालय की निष्ठा और पारदर्शिता पर सवाल खड़ा होता है, इसलिए इस प्रकरण को चलाने का कोई औचित्य नहीं है तथा याचिका खारिज की जाती है। संभवतः यह पहला मौका होगा जब किसी भी तरह के न्यायालय के फैसले में अनुचित दबाव डलवाए जाने का जिक्र किया गया है। फैसले की कॉपी बाहर आते ही बिसेन को लेकर फिर नया विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद ऐसे समय पर आया है जब भाजपा अपने विधायकों और मंत्रियों को पचमढ़ी ले जाकर सुचिता का पाठ पढ़ा रही है। भाजपा की मातृ संस्था आरएसएस के मुखिया मध्य प्रदेश में घूमकर राजनीति में सुचिता की बात कर रहे है। इस फैसले के बाद उठे विवाद में बिसेन सफाई दे रहे हैं कि उन्होंने उपपंजीयक से नियमानुसार काम करने को कहा था।
यह पहला मौका नहीं है जब बिसेन इस तरह के विवादों में आए हैं, वह अक्सर इस तरह की समस्या खड़ी करते रहे हैं। उन्होंने 2009 में सतना से बीजेपी नेता कमलाकर चतुर्वेदी को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में पौंगा पंडित कह दिया था। विंध्य के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले कमलाकर चतुर्वेदी ने इसकी शिकायत ऊपर तक की थी। इसी तरह उन्होंने एक बार पन्ना को-ऑपरेटिव्ह बैंक के अध्यक्ष संजय नगाइच को भरे मंच पर कह दिया था “पंडित तुझे मैं ठीक कर दूंगा।“ बाद में विवाद इतना बढ़ा कि बिसेन ने नगाइच को अध्यक्ष पद से हटवा दिया। नगाइच कोर्ट से केस जीतकर फिर कुर्सी पर बैठे और दोनों के बीच घमासान लंबे समय तक चलता रहा।
यह वही बिसेन हैं जिन्होंने सिवनी जिले में भ्रष्टाचार की शिकायत पर एक पटवारी को सभा के मंच पर बुलवा कर कान पकड़कर उठक-बैठक लगवाई। विवाद इतनी बढ़ा कि कलेक्टरों को छोड़ कर राजस्व के सारे अधिकारी प्रदेश में हड़ताल पर चले गए थे। यह मामला बड़ी मुश्किल से शांत हुआ तो बिसेन ने होशंगाबाद में सरकारी बैंक के जीएम को मंच पर बुला कर फटकार लगाई और माफी भी मंगवाई। बड़े अधिकारी के इस तरह के अपमान से विवाद खड़ा हो गया कि सहकारिता बैंक में बिसेन का जमकर विरोध हुआ।
गौरीशंकर बिसेन बालाघाट में मंच पर एक आदिवारी नाबालिग से जूते के फीते बंधवाने पर भी विवाद हुआ। जूते के फीते बांधती तस्वीर न सिर्फ सोशल मीडिया पर वायरल हुईं बल्कि नेशनल मीडिया की भी सुर्खियां बनी। हालांकि बिसेन ने यह सफाई देकर मामले को टालने की कोशिश की कि बैकवोर्न में दर्द के कारण वे झुक नहीं पा रहे थे ऐसे में उस किशोर ने खुद आकर जूते के फीते बांधने में मदद की थी। बिसेन की सफाई के बावजूद यह विवाद भाजपा हाईकमान तक पहुंचा और बिसेन को नसीहत मिली। गौरीशंकर बिसेन के बालाघाट स्थित सरकारी बंगले में चोरी की बिजली जलाए जाने का मामला भी सुर्खियों में रहा। बिजली विभाग की टीम ने छापा मारकर डायरेक्ट बिजली जलते हुए पकड़ा था और पैनाल्टी के साथ बिलिंग की थी। चुनाव के समय बिसेन पत्रकारों को खुलेआम घड़ियां बांटने के आरोप में भी विवादों में रह चुके हैं। चुनाव के हलफनामे में जानकारियां छुपाने का आरोप भी उन पर लगा है। यह मामला अदालत में भी चल रहा है। इसी तरह जब प्रदेश को कृषि अवार्ड मिला तब बिसेन ने खुद की पीठ थपथपाते हुए अपने होर्डिंग्स लगवा दिए। इसे पार्टी ने बहुत गंभीरता से लिया था।
इस तरह गौरीशंकर बिसेन हमेशा विवादों में बने रहते हैं। मंत्री के रूप में उनको जो भी विभाग मिलता है उसमें हंगामा खड़ा करते हैं। गौरीशंकर बिसेन जिस समुदाय से आते हैं उसका बड़ा वोट बैंक बालघाट जिले में ही है, शायद इसीलिए मुख्यमंत्री या भाजपा उनके खिलाफ एक बड़ा एक्शन लेने से कतराते हैं।