विधानसभा में दिए गए जवाबों से सरकार की हुई किरकिरी
खरी खरी संवाददाता
भोपाल 19 फरवरी। अफसरों पर आंख मूंदकर भरोसा करना कमलनाथ सरकार की किरकिरी का बड़ा कारण बन गया है। विधानसभा में सरकार के जवाब और सदन के बाहर मंत्रियों के दावों में अंतर के चलते यह स्थिति बनी है। सरकार को अब कई मुद्दों पर सफाई देनी पड़ रही है। खुद मुख्यमंत्री को ट्वीट करके जवाब देना पड़ रहा है।
दरअसल विवाद की शुरुआत विधानसभा सत्र में आए सवालों की जवाबों से हुई। मंदसौर गोली कांड को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब नें गृह मंत्री बाला बच्चन ने बताया कि मंदसौर में गोली आत्मरक्षा में चलाई गई थी। यह जवाब इस मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग की रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया जाना बताया जा रहा है। अगर रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकला है और सरकार खुद इसे मान रही है तो इस गोलीकांड को लेकर तत्तकालीन भाजपा सरकार पर लगे तमाम आरोप खारिज हो जाते हैं। सरकार भले ही नहीं कहे लेकिन आरोपियों को अपने आप क्लीन चिट मिल जाती है। मीडिया में यह बात आने पर की मंदसौर गोलीकांड में सभी को क्लीनचिट मिल गई है, कांग्रेस के भीतर ही हंगामा मच गया। इसी तरह नर्मदा के किनारे हुए वृक्षारोपण को लेकर सदन में सरकार द्वारा दिए गए जवाब में यही तथ्य सामने आया कि कहीं कोई गफलत नहीं हुई थी। सिंहस्थ को लेकर किए गए सवालों के जवाब में भी सरकार का जवाब उसके गले की हड्डी बन गया है।
सबसे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सवाल खड़ा किया। उन्होंने इस बात पर सख्त लहजा दिखाया कि मंदसौर गोलीकांड में कांग्रेस ने जो रिपोर्ट तैयार की थी और सिंहस्थ घोटाले में कांग्रेस के जो तथ्य थे, उन्हें सरकार के जवाब ने झुठला दिया है। नर्मदा किनारे वृक्षारोपण को लेकर हुए घोटाले पर दिग्विजय सिंह का सवाल ज्यादा आक्रामक था। उन्होंने कहा कि वे खुद नर्मदा यात्रा करके आए हैं, उन्हें पौधरोपण नहीं दिखा, लेकिन जिन मंत्रियों ने वस्तु स्थिति नहीं देखी उन्होंने सब सही बता दिया। इसके बाद तो सियासी हंगामा खड़ा हो गया। गृह मंत्री बाला बच्चन ने बाकायदा प्रेस काफ्रेंस करके कहा विधानसभा में दिया गया जवाब प्राथमिक तौर पर है, उससे किसी को क्लीनचिट नहीं मिली है। सरकार जांच रिपोर्ट का परीक्षण करा रही है। अगर सरकार को लगेगा कि इसमें कुछ खामी रह गई है तो सरकार फिर से जांच कराएगी। लेकिन वे अंत तक यह स्पष्ट नहीं कर पाए कि आखिर विधानसभा में जवाब कैसे इतना पाजीटिव आ गया। वहीं वन मंत्री उमंग श्रृंगार भी बैकफुट पर आ गए। अब वे कह रहे हैं कि हम पूरे मामले की जांच करा रहे हैं और उसके बाद व्यापक रिपोर्ट दी जाएगी। उनकी सफाई है कि वे सिर्फ वन विभाग द्वारा लगाए गए पौधों की बात कर रहे थे, जबकि वहां पौधरोपण अन्य विभागों ने भी किया था। यही कारण है कि गफलत की स्थिति बन रही है।
मंत्रियों की सफाई के बाद भी चर्चाओं का दौर नहीं थमा तो मुख्यमंत्री को सफाई देनी पड़ी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट करके कहा कि न तो मंदसौर गोलीकांड के दोषियों को बख्शा जाएगा और न ही पौध रोपण घोटाले के दोषियों को छोड़ा जाएगा और न ही सिंहस्थ में हुई आर्थिक अनियमितताओं के आरोपियों को छोड़ा जाएगा। किसान भाइयों को न्याय दिलाना और घोटाले के दोषियों को सजा दिलाना हमारा संकल्प है।