BRTS कारीडोर को तोड़ने का प्लान अंतिम रूप नहीं ले पाया
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 30 दिसंबर। भोपाल के बीआरटीएस कारीडोर को तोड़ने के लिए प्लान तैयार करने की डेड लाइन पूरी हो गई, लेकिन अभी तक इसे तोड़ने को लेकर कोई अंतिम कार्ययोजना नहीं बन पाई है। नगर निगम दावा कर रहा है कि प्लान तैयार है, लेकिन प्लान को मंजूरी अभी तक नहीं मिल पाई है। कारीडोर को तोड़ने पर होने वाला करीब पंद्रह करोड़ का खर्च उठाने के लिए कोई एंजेसी तैयार नहीं है।
बीआऱटीएस कारीडोर के स्वामित्व वाली एंजेसी भोपाल नगर निगम खराब माली हालत के चलते इसे तोड़ने का काम लोक निर्माण विभाग को सौंपना चाहता है, लेकिन लोक निर्माण विभाग ने हाथ खड़े कर दिए हैं। नगर निगम की ओर से इसे तोड़ने के चार प्लान बनाकर राज्य शासन को भेजे गए है। निगम के आला अफसर चारों प्लान का प्रजेटेशन चीफ सेकेट्री के सामने देंगे, तब जाकर कोई निर्णय हो गया। मामला इतना उलझा है कि सीएस भी एक बार सीएम को दिखाने और बताने के बाद ही कोई निर्णय़ ले पाएंगी। बीआरटीएस कारीडोर प्रशासन के लिए अब गले की फांस बन गया है।
राजधानी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को सुगम करने के नाम पर बनाया गया बीआरटीएस कारीडोर विशेषज्ञों के विरोध के बाद भी बनाया गया था। इसे बनाने वाली अफसरशाही की नजर असल में भोपाल की बिगडैल ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट को सुगम बनाने के बजाय करोड़ों रुपए के कमीशन पर थी। इसके निर्माण का ख्वाब देखने वालों और इसे हकीकत में बदलने वालों को भी भान था कि एक दिन इसे तोड़ना ही पड़ेगा। आखिरकार करीब तेरह साल बाद कारीडोर को तोड़ने का निर्णय़ हो गया। तेरह साल पहले कुल 360 करोड़ रुपए में बने इस बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने में करीब पंद्रह करोड़ रुपए खर्च आने की बात कही जा रही है। यानि ये पौने चार सौ करोड़ तो स्वाहा हो ही जाएंगे और नतीजा, लोगों की परेशानियां, सैकड़ों दुर्घटनाओं में सैकड़ों की मौत और इस बीआरटीएस कॉरिडोर के नाम पर अन्य कई घोटाले हुए, वो अलग। बीआरटीएस के चक्कर में कुल साढ़े पांच सौ करोड़ का चूना नगर निगम भोपाल को लग रहा है। जिस नगर निगम के पास समय पर वेतन बांटने के लिए पैसों के किल्लत हो जाती है, उस नगर निगम पर साढे पांच सौ करोड़ का वित्तीय भार कितना बड़ा बोझ होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री डा मोहन यादव ने जिस तल्ख अंदाज में इस कारीडोर को तोड़ने का फैसला सुनाया था, उससे लग रहा है कि प्रशासनिक अमले को इसे जल्द ही अमली जामा पहनाना पडेगा। सीएम की नजर इसे बनाने वाले अफसरों पर भी है। कारीडोर को तोड़ने के फैसले का समर्थन करने वाले लोग इसे बनाने वालों पर कार्रवाई की मांग भी कर रहे हैं। इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि अगर सीएम कारीडोर बनाने वाले अफसरों पर कार्रवाई कर दें।