बहुत जल्द बदलेगी मध्यप्रदेश में बीजेपी की रंगत
सुमन त्रिपाठी
भोपाल, 12 जून। मध्यप्रदेश में सत्ता से सिर्फ कुछ कदम की दूरी पर रह गई बीजेपी में बहुत जल्द बदलाव शुरू होगा। इस साल के अंत तक मध्यप्रदेश में भाजपा नए रंग में होगी। पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चेहरा बदलने के साथ ही यह कवायद शुरू हो जाएगी। इस बार ऊर्जावान कार्यकर्ताओं को संगठन में बड़े ओहदों पर रखने की तैयारी चल रही है।
मध्यप्रदेश में भाजपा भले ही सत्ता में नहीं आ पाई लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी की भारी सफलता ने विधानसभा में मिली हार से निराश पार्टी में ऊर्जा का संचार किया है। मध्यप्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर मिली जीत ने नया जोश भर दिया है। अब पार्टी का राष्ट्रीय युवा कार्यकर्ताओं के इसी जोश को पार्टी की नई ताकत बनाने की योजना पर काम कर रही है। पार्टी के राष्ट्रीय अमित शाह के स्थान पर नए अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही इस योजना पर अमल में तेजी आ जाएगी। अमित शाह के केंद्रीय गृह मंत्री बन जाने के कारण नया अध्यक्ष बनना तय है। अमित शाह 12 जून को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में संभवत: आखिरी बार मीडिया से रूबरू होंगे, जिसमें वे कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं। इसके अगले दिन 13 जून को पार्टी के सभी प्रदेशों के अध्यक्षों, संगठन महामंत्रियों और प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बुलाई है। इसमें नए अध्यक्ष का चयन होने के साथ ही राज्यों के बारे में भी नई रणनीति पर फैसला हो सकता है। बैठक में इस बात पर जोर दिया जायेगा कि ऊर्जावान कार्यकत्ताओं को संगठऩ में शामिल किया जाए।
पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का नाम फाइनल होने के बाद मध्यप्रदेश जैसे बड़े राज्य के संगठन में फेर बदल होगा। अगर जेपी नड्डा राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं, तो मध्यप्रदेश में बहुत ज्यादा बदलाव आने की संभावना नहीं है। नड्डा मध्यप्रदेश बीजेपी की नब्ज जानते है। इसलिए वे सब को साथ लेकर काम करने की कोशिश करेंगे। हालांकि ऊर्जावान नए नेताओं को आगे लाने की रणनीति पर वे भी काम करेंगे। अगर भूपेंद्र यादव को अध्यक्ष की कमान मिलती है तो ज्यादा बदलाव की संभावना है। ओबीसी के बड़े नेता होने के कारण उनकी निगाह मध्यप्रदेश के सबसे बड़े वोट बैंक यानि ओबीसी पर ज्यादा होगी। पार्टी में दिग्गज ओबीसी नेताओं को हासिए पर करके नए चेहरों को फ्रंट पर लाया जा सकता है। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व यह मानकर चल रहा है कि लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिली भारी सफलता में मध्यप्रदेश के संगठन का को योगदान नहीं है। यह सीधे तौर पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जीत है। इसलिए पार्टी मध्यप्रदेश के बारे में कोई फैसला विधानसभा चुनाव के परिणामों के आधार पर ही करेगी। यह साफ है कि मध्यप्रदेश में मिली सफलता का श्रेय राकेश सिंह या उनकी टीम के खाते में नहीं जाएगा। इसलिए नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के बाद बदलाव की बयार चलेगी। पार्टी के संगठन चुनावों का ऐलान भी 6 जुलाई को सदस्यता अभियान के साथ हो जाएगी। दो तीन महीनों के भीतर संगठन चुनाव की प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी। इस चुनाव में होने वाले बदलाव का संकेत इस बार पहले से ही दिखाई देने लगेगा। प्रदेश के एक दर्जन से ज्यादा जिलों में संगठऩ को लेकर विवाद की स्थिति या फिर आपसी मतभेद जगजाहिर है। ऐसे में संगठन चुनाव के दौरान इन सबको बदला जा सकता है और प्रदेश की कमान युवाओं को सौंपी जा सकती है। संगठऩ चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी। ऐसे में संगठन को कसौटी पर खरा उतरने की जिम्मेदारी भी है। इसलिए अब पार्टी की नजर सिर्फ और सिर्फ संगठऩ पर ही है...और इसलिए इस साल के अंत तक मध्यप्रदेश में बीजेपी का रूप और रंग बदला हुआ दिखाई देगा।