नई सरकार को बहुत महंगी पड़ेंगी महिला कल्याण योजनाएं
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 28 नवंबर। मध्यप्रदेश में नई सरकार का गठन तीन दिसंबर तक भविष्य के गर्भ में हैं। मतगणना होने तक दोनों पार्टियां कांग्रेस और भाजपा सरकार बनाने का दावा दमदारी के साथ कर रही हैं। दोनों के दावों की दमदारी उन कल्याणकारी योजनाओं से है जो उन्होंने चुनाव के समय की हैं। इनमें भाजपा की लाड़ली बहना योजना और कांग्रेस की नारी सम्मान योजना प्रमुख हैं। इन योजनाओं से सरकार भले बन जाए लेकिन यही योजनाएं नई सरकार के लिए बहुत मंहगी पड़ जाएंगी। लाखों करोड़ के कर्ज में दबे राज्य की वित्त व्यवस्था में इन योजनाओं के लिए वित्तीय व्यवस्था करना बड़ी चुनौती होगी।
प्रदेश की सत्ता किसके हाथ होगी यह अभी समय के गर्त में है, लेकिन चुनाव परिणामों से पहले ही एक बार फिर से मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार कर्ज लेने जा रही कर्ज को लेकर मध्य प्रदेश वित्त विभाग ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस नोटिफिकेशन के अनुसार, 28 नवंबर को प्रदेश सरकार 2 हजार करोड़ का कर्ज लेगी। यह कर्ज रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से 14 साल के लिए लिया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि नई सरकार के गठन की व्यवस्थाओं के लिए मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के भुगतान के लिए यह कर्ज लिया जा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार पर 31 मार्च 2022 तक प्रदेश का कुल सार्वजनिक कर्ज 2.95 लाख करोड़ रुपए था और 31 मार्च 2023 तक कुल कर्ज 3 लाख 31 हजार 651 करोड़ रुपए हो गया है। बजट अनुमान (वित्त वर्ष 2023-24 के लिए) के अनुसार 31 मार्च 2024 तक यह आंकड़ा बढ़ाकर 3.85 लाख करोड़ होने का अनुमान है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के बाद प्रदेश सरकार तीन बार कर्ज ले चुकी है। मध्य प्रदेश में 9 अक्टूबर को चुनावों के ऐलान के तुरंत बाद आदर्श आचार संहिता लागू हुई थी। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने अक्टूबर महीने में 4 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया है. जबकि, सितंबर महीने में सरकार ने 4500 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। अब नवंबर 2000 करोड़ का कर्ज लिया जा रहा है। इस साल अब तक सरकार 38 हजार 500 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। सरकारी तंत्र को चलाने वाले विशेषज्ञों की मानें तो अगला बजट साढ़े तीन लाख करोड़ से ऊपर का होगा। उनका तर्क है कि करीब 13 लाख करोड़ की जीडीपी वाली अर्थव्यवस्था में लाड़ली बहना जैसी योजनाओं के लिए 16 हजार करोड़ जैसी रकम की व्यवस्था बड़ी चुनौती नहीं है, लेकिन बजट वर्ष के बीच में योजनाएं घोषित होने से थोड़ी दिक्कत हुई। अब सरकार कोई सी भी बने वह नए बजट में प्रावधान कर लेगी, लेकिन यह तय है कि अब तक लिए गए कर्ज का भुगतान ब्याज सहित करना बहुत मंहगा पडेगा और योजना भी बहुत महंगी पड़ जाएगी। नई सरकार को इस चुनौती से जूझना ही पड़ेगा।