धर्म के नाम पर अतिक्रमण, दबंगई, लापरवाही बनी 36 मौतों का कारण
खरी खरी संवाददाता
इंदौर, 31 मार्च। रामनवमी के शुभ मौके पर इंदौर शहर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में धर्म के ठेकेदारों की लापरवाही 36 जिंदगियां लील गई। श्रद्धा और भक्ति के साथ मंदिर पहुंचे श्रद्धालुओं की जल समाधि हो गई। अभी तक धर्म के इन ठेकेदारों की दहशत में रहने वाले प्रशासन ने अब उनके खिलाफ एफआईआर की है। हादसे की जांच के आदेश हो गए हैं। लेकिन अब तक हुए बड़े बड़े हादसों की जांच के परिणाम बहुत सुखद संकेत नहीं देते हैं।
बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में हुए इस हादसे की बड़ी वजह एक सार्वजनिक बावड़ी पर अतिक्रमण कर किया गया अवैध निर्माण है। इसके खिलाफ स्थानीय नागरिकों ने नगर निगम, जिला प्रशासन से लेकर पुलिस थाने तक में शिकायत की है। करीब 20 साल पहले शिकायत को लेकर हुए विवाद और मारपीट की एफआईआर भी जूनी थाने में दर्ज है, लेकिन क्षेत्र में एक पूर्व पार्षद के दबदबे के चलते कोई कार्रवाई नहीं हुई। बीजेपी के वर्तमान पार्षद मृदुल अग्रवाल ने भी बावड़ी पर अवैध निर्माण की शिकायत नगर निगम में पहले से दर्ज होने की बात कही, लेकिन उस पर कार्रवाई के सवाल पर वे भी बचते हुए कहा- मैं दुख व्यक्त कर सकता हूं। पार्षद अग्रवाल के इस अफसोस पर अफसोस जाहिर करने के अलावा कुछ नहीं हो सकता है। पूरी घटना की कड़ियों को तफ्सील से जोड़ा जाए तो सारी जिम्मेदारी धर्म के ठेकेदारों की ही सामने आती है। अवैध निर्माण करना और फिर अपनी सियासी दबंगई से उसे टूटने से बचाए रखना और फिर त्यौहार के मौके पर बिना अनुमति तथा बिना व्यवस्था भीड़ इकट्ठी करना, सब के लिए धर्म के ठेकेदार जिम्मेदार हैं। त्यौहार के मौके पर इस तरह के लापरवाही के साथ एक बड़ी लापरवाही और हुई। पहली बार हवन अंदर हुआ था, क्योंकि अगले साल से मूर्तियां नए मंदिर में शिफ्ट होने वाली थीं, इसलिए फैसला किया गया था कि भगवान के सामने ही हवन करेंगे। यह फैसला भी धर्म के इन्ही ठेकेदारों का था। यही वजह रही कि बावड़ी पर इतनी भीड़ जमा हो गई। भीड़ के नियंत्रण के कोई इंतजाम नहीं था, उसी का नतीजा हादसा और उसमें कई परिवारों को ताजिंदगी का दर्द शामिल है।
पूरे मामले में घोर लापरवाही सामने आई है। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है। कलेक्टर इलैया राजा ने मजिस्ट्रीयल जांच की जिम्मेदारी अभय बेडेकर को सौंपी है। इस बीच महापौर ने इंदौर नगर निगम के दो अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार सुबह घायलों और उनके परिजन से मुलाकात की। उन्होंने कहा- घायलों का इलाज सरकार कराएगी। प्रदेश में ऐसे ढंके हुए कुएं-बावड़ी की तलाश कर खोले जाएंगे ताकि फिर कोई हादसा न हो। इसके बाद घटनास्थल का दौरा भी किया। पिछले साल मई 2022 में इंदौर में बगीचों पर किए गए अतिक्रमण हटाने के लिए शुरू की गई नगर निगम की कार्रवाई से यहां भी कार्रवाई होने की उम्मीद जगी थी। लेकिन नगर निगम के अतिक्रमणविरोधी अमले की गाडिय़ां यहां किए गए अवैध निर्माण के गेट पर आकर रुक गईं। उस समय यहां के स्थानीय पार्षद से लेकर विधायक और सांसद तक ने पूरा जोर लगा दिया था कि बावड़ी पर किए गए अतिक्रमण को नगर निगम का अमला हाथ भी नहीं लगाएगा। हादसे से बेहद नाराज स्थानीय नागरिकों का सवाल है कि एक पुरानी सार्वजनिक बावड़ी पर, जिससे बरसों तक स्थानीय जनता को पानी की सप्लाई की जाती रही हो, वहां पर खुलेआम दादागीरी करके इतना बड़ा अतिक्रमण और अवैध निर्माण कैसे कर लिया गया। इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। इस सवाल का जवाब किसी जांच में पूरी तरह मिल भी नहीं पाएगा, क्योंकि आज तक हुए बड़े बड़े हादसों की जांच में इसका जवाब नहीं मिला। इसलिए जरूरी है कि समाज खुद जागरूर हो और धर्म के ऐसे दबंग ठेकेदारों पर लगाम लगाए तभी भविष्य में हादसों को रोकने की उम्मीद जाग सकती है।