ठाकरे और राजमाता पर क्यों मेहरबान हुए कांग्रेस से भाजपा में आए मंत्री
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 31 दिसंबर। अपने एजेंडे को लागू करने के लिए राजनीतिक पार्टियां लोकतांत्रिक मर्यादाओं को किस तरह ताक पर रखदेती हैं, इसका ताजा उदाहरण सामने आया है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने फरमान जारी किया है कि अब प्रदेश में जितने नए पंचायत भवन बनेंगे उनका नाम स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे के नाम पर होगा। इसी तरह जो नए सामुदायिक भवन बनेंगे उनका नामकरण स्वर्गीय राजमाता विजयाराजे सिंधिया के नाम पर होगा। सरकारी भवनों का नामकरण अक्सर सथानीय निकायों द्वारा उस क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों के नाम पर होता है। इसलिए पंचायत मंत्री की इस घोषणा पर फिलहाल तो सियासी बवाल मचा हुआ है क्योंकि सत्ता पर सियासत भारी पड़ रही है।
करीब 9 महीने पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के साए में कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने वाले महेंद्र सिंह सिसोदिया खुद को पूरा भाजपाई दिखाने की कवायद में जुटे हुए हैं। तभी तो आए दिन कोई न कोई ऐसा काम करते हैं जो लगे कि वह भाजपा में रच बस गए हैं। प्रदेश सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री सिसोदिया ने हाल ही में एक नया फरमान जारी किया है। विभाग की समीक्षा बैठक में उन्होंने फैसला सुना दिया कि प्रदेश में अब जितने नए पंचायत भवन बनेंगे उनका नामकरण मध्य प्रदेश भाजपा के पित्र पुरुष कहे जाने वाले स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे के नाम पर होगा ।सिसोदिया ने प्रदेश में बनने वाले सामुदायिक भवनों का नामकरण भाजपा की वरिष्ठ नेता स्वर्गीय राजमाता सिंधिया के नाम पर किए जाने का निर्देश भी दिया। उनके इस बयान से उनकी पुरानी पार्टी कांग्रेस खफा है। उसका कहना है नामकरण स्थानीय स्तर पर विशिष्ट जनों की महत्ता के अनुसार हुआ है। इस तरह का आदेश देने के पहले मंत्री जी को यह सोचना चाहिए अगर लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन नहीं करना है तो पूरे मध्यप्रदेश का नाम बदलकर कुशाभाऊ ठाकरे प्रदेश कर देना चाहिए।
मंत्री के इस फैसले से कांग्रेस भले ही नाखुश हो पर भाजपा गदगद है। उसे लग रहा है कि सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर आने वाले नेता धीरे-धीरे भाजपा के रंग में रंगे जा रहे हैं। भाजपा को पंचायत मंत्री का यह फैसला उसी कड़ी में दिखाई पड़ रहा है। इसलिए पार्टी उनके फैसले का स्वागत कर रही है। पार्टी का दावा है कि कुशाभाऊ ठाकरे और राजमाता सिंधिया के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है। उनके नाम पर विरोध करने वाले संकुचित मानसिकता के हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री तथा ज्योतिरादित्य सिंधिया के खासम खास महेंद्र सिंह सिसोदिया ने पंचायत और सामुदायिक भवनों के नामकरण का फैसला चाहे जो सोच कर लिया हो…. लेकिन यह तय है कि नामकरण के इस तरह के फैसले किसी भी शासन तंत्र में ठीक नहीं माने जा सकते… सत्ता के तंत्र पर सियासत की मोहर लगाने का यह काम कुछ समय के लिए लाभ दे सकता है लेकिन दीर्घकाल में ठीक नहीं होगा।