चुनावी मौसम  में राम की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख तय होने से सियासी हलचल

Oct 26, 2023

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 26 अक्टूबर। लोकसभा चुनाव के लिहाज से सत्ता का सेमीफाइनल कहे जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के मौसम में अयोध्या में श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तारीख तय होने से सियासी बवाल मच गया है। श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए आमंत्रित 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा होने का संकेत दिया है। इस आमंत्रण और उस पर पीएम मोदी की भावुक प्रतिक्रिया ने देश की सियासत में हलचल ला दी।

श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट अयोध्या के महासचिव चंपत राय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकातकर श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री कार्यालय को संभावित तारीख 22 जनवरी बताई गई। यह आमंत्रण मिलने के बाद प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर भावुक प्रतिक्रिया व्यक्त की और लिखा--- जय सियाराम! आज का दिन बहुत भावनाओं से भरा हुआ है। अभी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी मुझसे मेरे निवास स्थान पर मिलने आए थे। उन्होंने मुझे श्रीराम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर अयोध्या आने के लिए निमंत्रित किया है। मैं खुद को बहुत धन्य महसूस कर रहा हूं। ये मेरा सौभाग्य है कि अपने जीवनकाल में, मैं इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनूंगा।– पीएम की इस प्रतिक्रिया ने राजनीति में हलचल मचा दी। शिवसेना नेता संजय राऊत ने इस पर तुरंत टिप्पणी करते हुए कहा कि इसकी जरूरत ही नहीं थी, वो तो वैसे भी जाते। रामं मंदिर तो बनना ही था, रामसेवकों ने खून बहाया था। इसके लिए सभी ने बहुत बड़ा योगदान दिया था। लेकिन अयोध्या मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जो कुछ भी हो रहा है, इसका मतलब साफ है कि चुनाव पास हैं। सियासी प्रतिक्रियाएं शुरू होने पर श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को सब सार्वजनिक करना पड़ा। चंपत राय ने बताया कि प्रधानमंत्री से मुलाकात कर उन्हें 22 जनवरी को प्राणप्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का आमंत्रण दिया है। श्रीराम जन्म भूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा आस्था, भक्ति और विश्वास का विषय है, लेकिन लोग अपनी अपनी मानसकिता के अनुसार काम कर रहे हैं।

प्राण प्रतिष्ठा की तारीखों को सबसे ज्यादा तीन हिंदी भाषी राज्यों मे चल रहे विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। इसमें भी मध्यप्रदेश सबसे प्रमुख है क्योंकि मध्यप्रदेश वह राज्य है जहा 1992 में बाबरी विध्वंस की आग में भाजपा की सरकार जल गई थी। बाबरी कांड के बाद भड़के दंगे नही रोक पाने के आरोप में मध्यप्रदेश की सुंदरलाल पटवा सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। इसलिए अब बीजेपी की कोशिश राम मंदिर के बहाने सत्ता में फिर वापसी करना है। उसकी इस कोशिश को देखते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने तुरंत तंज कसा। विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के लिए छिंदवाड़ा गए कमलनाथ ने प्राण प्रतिष्ठा की तारीख पीएम को आमंत्रण का पता लगते ही कहा कि मंदिर भाजपा वालों का नहीं है। इसलिए सिर्फ उन्हें ही आमंत्रित किया जाना उचित नहीं है। कमलनाथ ने इसे सनातन धर्म का पुराना प्रतीक बताया, उन्होंने कहा कि राम मंदिर हम सबकी आस्था का केंद्र है, भाजपा तो ऐसे कह रही है जिसे ये उसका मंदिर है ये पूरे देश का मंदिर है। इस पर मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने  ट्वीट कर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर प्रसन्नता जताई है, उन्होंने ट्वीट किया – वर्षों की प्रतीक्षा समाप्त होने वाली है, राम मंदिर में आराध्य भगवान श्री रामलला का विराजमान होना, सनातन की शुभता, शुभत्व और मंगल का प्रतीक है, यह करोड़ों हिंदुओं की आस्था एवं भावनाओं का सम्मान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, यह हम सभी का सौभाग्य है कि 22 जनवरी 2024 को इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बनेंगे। प्रभु श्रीराम की कृपा से सबका मंगल और कल्याण हो, यही श्रीचरणों में प्रार्थना है। जय जय सियाराम।

श्रीराम जन्म भूंमि ट्रस्ट भले ही कोई तर्क दे और उसके तर्क सही भी हों लेकिन जिस तरह भाजपा के नेता टिप्पणियां कर रहे हैं,.उससे साबित होता है कि भाजपा ने प्राण प्रतिष्ठा के बहाने एक बार फिर सत्ता हासिल करने के लिए राम को केंद्र बनाने जा रही है। शायद इसीलिए पीएम दिल्ली के विजयादशमी उत्सव में भी श्रीराम मंदिर का जिक्र करते हैं। चुनावी मौसम में पीएम के कार्यक्रम  चित्रकूट में हो रहे हैं जहां से राम मंदिर को लेकर कही गई कोई भी बात एमपी के हर घर तक जाएगी और वहां से पूरे प्रदेश के चुनावी मौसम में घुल जाएगी। कांग्रेस की चिंता का मूल कारण शायद यही है।