चुनावी चंदे का सियासी बाजार यूनिक आईडी कोड्स के बिना सूना
खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने चुनावी चंदे के लिए जारी इलेक्टोरल बांड्स का खुलासा तो कर दिया, लेकिन बैंक ने बांड्स के यूनिक आईडी कोड तब भी नहीं बताए। इससे इतना तो पता चल गया कि किस कंपनी ने बांड्स के जरिए कितना चंदा दिया और किस पार्टी को इन बांड्स के जरिए कुल कितना चंदा मिला, लेकिन यूनिक आईडी कोड नहीं होने से यह पता नहीं चल सका कि किस कंपनी विशेष के बांड्स से किस पार्टी विशेष को कितना चंदा मिला है। चंदा देने और लेने की सूची भर से सबको लग रहा है कि चुनावी चंदे का सियासी बाजार यूनिक आईडी कोड्स के बिना सूना है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर स्टेट बैंक को अल्टीमेटम देकर यूनिक आईडी कोड्स मांगे हैं।
लोकसभा चुनावों के महापर्व में व्यस्त हो गए देश के सियासी दलों और प्रशासनिक मशीनरी को भले ही इस समय इलेक्टोरल बांड्स से ज्यादा महत्वपूर्ण इलेक्शन की तैयारी लग रहा हो, लेकिन देश के वोटर को लग रहा है कि उसे पता होना चाहिए कि किसने, किसको, कितना चंदा दिया, फिर क्यों दिया का जवाब वो खुद तैयार कर लेगा। इसलिए यह समझना जरूरी है कि आखिर यह अल्फा न्यूमेरिक यूनिक आईडी कोड क्या है। असल में यह नंबर हर इलेक्टोरल बांड्स पर होता है। अगर यह कोड नंबर पता चल जाए तो कोई भी व्यक्ति किसी कंपनी या व्यक्ति द्वारा खरीदे गए इलेक्टोरल बांड के कोड नंबर और किसी सियासी दल द्वारा कैश कराए गए बांड्स के नंबर का मिलान करके खुद जान सकता है किसी कंपनी के किस बांड से किस पार्टी को कितना चंदा मिला। बांडस पर छपा यूनिक आईडी कोड हमारे नेट बैंकिंग खाते के पासवर्ड की तरह होता है। इसमें अल्फाबेट यानि शब्द (जैसे a,b,C,d), न्यूमेरिक यानि अंक (जैसे 1,2,3,4) और स्पेशल कैरेक्टर यानि चिन्ह (जैसे@,$, #) शामिल होते हैं। तीनों को मिलाकर ही यूनिक आईडी कोड बनता है। जब भी कोई कंपनी या व्यक्ति कितने भी मूल्य का कोई भी बॉन्ड खरीदता है तो उसे एक कोड दिया जाता है। लेकिन हर बॉन्ड पर दर्ज इस कोड को नंगी आखों से देखना नामुमकिन है। इसे सिर्फ अल्ट्रावॉयलेट किरणों (UV Rays) में देखा जा सकता है। इसलिए सामान्य तौर यह पता ही नहीं चल सकता है कि कौन सा बांड् किसने खरीदा और किसने भुनाया। इसके अभाव में सिर्फ यही पता चल पाता है कि बांड कितनी कीमत का था। अब जब अल्फान्यूमेरिक नंबर मिल जाएगा तो उससे यह मैच किया जा सकेगा कि कौन सा बॉन्ड नंबर किस कंपनी ने लिया था और किसको चंदे के रूप में दिया। यानि किस पार्टी को किस कंपनी से कौन सा बांड् मिला और उसकी कीमत क्या थी। यानि कंपनी ने पार्टी को कितने का चंदा दिया यह बड़ी आसानी से पता चल जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के अल्टीमेट के बाद उम्मीद की जा रही है कि स्टेट बैंक आफ इंडिया सभी बांड्स के यूनिक आईडी कोड अदालत को सौंप देगा।