चीन के कांधे पर हाथ रखकर एपल हुआ सफल

Feb 07, 2015

डॉ. महेश परिमल

इस समय एपल के मुनाफे का रिंगटोन पूरी दुनिया में डंका बजा रहा है। आईटी के क्षेत्र में मुनाफे के नाम पर पूरे कार्पोरेट क्षेत्र को हिला देने वाली एपल कंपनी का मुनाफा 697.9 अरब डॉलर है। दूसरी ओर भारत की शेयरबाजार की बड़ी 20 कंपनियों का कुल मुनाफा 697.2 अरब डॉलर है। इससं यह संकेत मिलते हैं कि भविष्य में डेस्कटॉप और लेपटॉप का मार्केट टूटेगा और मोबाइल का साम्राज्य बढ़ेगा। एपल का मुनाफा जब मीडिया की सुर्खियां बना, तो पूरा विश्व चौंक उठा। किसी भी कंपनी की अपेक्षा यह मुनाफा काफी था, यह तो ठीक है, पर इस मुनाफे ने सिद्धियों के कई कीर्तिमान रचे हैं, यह बड़ी बात है।

कोई इंसान यह मान ले कि एपल का मुनाफा सुर्खियां बना, इससे हमारा क्या वास्ता? यह मानने के पहले यदि हम विश्व की सबसे अधिक मुनाफा कमाने वाली इस कंपनी के बारे में जान लें, तो बेहतर होगा। एपल यानी आई फोन कंपनी। इस कंपनी के अन्य उत्पाद साइज बिजनेस की तरह हैं। आई फोन का फैलाव इतना अधिक है कि विश्वभर में यदि इसकी बिक्री होती है, तो इसका एवेन्यू एक वर्ष में 57 प्रतिशत बढ़ जाता है। यदि कोई ऊंची कीमत पर आई फोन 6 खरीदता है, तो कोई इससे थोड़ा सस्ता खरीदता है, पर आई फोन की बिक्री में 46 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है, यह नहीं भूलना चाहिए। एपल भले ही अमेरिकी कंपनी हो, पर इसकी बिक्री अमेरिका से बाहर दूसरे देशों में अधिक है। हांगकांग-चीन में तो आई फोन की बिक्री खूब हुई है। हांगकांग समेत ग्रेटर चीन में तो एपल की आय 70 प्रतिशत बढ़ गई है। हमारे देश की बात करें, तो भारतीय अभी तक आई फोन के दीवाने नहीं हुए हैं। चीन में जितने आई फोन की बिक्री हुई है, उतने अभी तक भारत में नहीं बिके हैं। साधारण भारतीय एकदम से एपल का आई फोन खरीदने के लिए स्वयं को तैयार नहीं कर पाते। इसके मद्देनजर एपल ने ऐसी स्कीम निकालने वाली है, जिसमें किस्तों में राशि देकर एपल का आई फोन खरीदा जा सकता है। जैसे ही यह स्कीम बाजार में आएगी, वैसे ही आई फोन 6 की बिक्री में तेजी आएगी, तब एपल अपने मुनाफे का इतिहास रचेगा, यह तय है।

एपल के मुनाफे की तुलना किसके साथ की जाए, इसकी एक झलक यहां दी जा रही है:-

  • अफ्रीका जैसे दस गरीब देशों के जीडीपी जितनी ।
  • गेलेक्सी को रौंदने निकले ‘नासा’का वार्षिक बजट जितना।
  • सिडनी में 20 हजार 600 मकान खरीदने में जितना धन चाहिए उतना।

आई फोन के बढ़ते बाजार से एक बात यह सिद्ध हो जाती है कि आगामी वर्षों में डेस्कटॉप और लेपटॉप का बाजार टूट जाएगा, उसके स्थान पर टेबलेट और बड़े स्क्रीन वाले फोन आ जाएंगे। एपल का वर्चस्व भी बढ़ेगा। हाथ के पंजे में समा जाने वाले मोबाइल से किसी भी तरह का काम लिया जा सकेगा, इस हिसाब से ‘मेक’ बाजार में लाया गया था, परंतु आई फोन की तुलना में उसकी बिक्री बमुश्किल 9 प्रतिशत ही रही। एपल ने यदि 18 अरब डॉलर का मुनाफा कमाया है, वह तो अमेजान की शुरुआत से अब तक के मुनाफे से भी अधिक है। एक्सान मोबाइल 2012 के त्रिमासिक परिणामों में 15.9 अरब डॉलर का मुनाफा कमाया था। एपल उससे भी आगे निकल गया। नए उद्योगपतियों को एपल के बेशुमार मुनाफे से कुछ सीखना चाहिए। उसकी व्यूहरचना को आचरण में लाना चाहिए। उत्तम क्वालिटी, सफल मेकेनिजम और लोगों को लुभाने वाले सुविधाएं देकर तगड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है।

चीन का सहारा लेकर एक अमेरिकन कंपनी आज पूरे विश्व में चर्चित है। आज वह बेशुमार 18 अरब डॉलर का मुनाफा कमाने वाली कंपनी है। अपने मुनाफे से पूरे विश्व को चौंकाने वाली यह कंपनी का लोहा आज हर कोई मान रहा है। एक समय सेमसंग का साम्राज्य था। एपल ने चीन में सेमसंग के खिलाफ मोर्चा खोला। एपल की व्यूह रचना सेमसंग समझ नहीं पाया। चीन के लोग कब एपल प्रेमी हो गए, यह सेमसंग को कानों-कान पता ही नहीं चला। जब बिक्री प्रभावित हुई, तब सेमसंग को खयाल आया कि एपल अब चीन में छा गया है। एंड्राइड डिवाइस से जिनका मोहभंग हुआ, वे एपल के करीब आ गए। वैसे तो चीन में स्मार्ट फोन बनाने की सूची में एपल का स्थान छठा है। जिसमें हुवाई, लीनोवा, सेमसंग, जीओमी और यूलोंग का समावेश होता है। भारतीय कंपनियों की बात की जाए, तो हम टाटा, अंबानी, अदाणी, बाटा से बाहर ही नहीं जा पा रहे हैं, जबकि विश्व की कंपनियां पूरी दुनिया से ‘ब्रेन’ खरीद रही है और अपना विस्तार कर रही है। इस तरह से देखा जाए, तो एपल की तुलना में भारत की कंपनियां स्टेंड स्टील है। भारत में सस्ता मोबाइल देने की योजना रिलायंस के धीरुभाई अंबानी की थी। वे मानते थे कि गांव के लोगों को भले ही लिखना न आता हो, पर बोलना तो आता है। यह भी सच है कि रिलायंस के मोबाइल काफी लोकप्रिय नहीं हो पाए। दूसरी एपल महंगा होने के बाद भी पूरे विश्व में उसकी रिंगटोन सुनाई दे रही है।

ऐतिहासिक मुनाफे के इतिहास में अपना नाम दर्ज करने वाली एपल शायद एकमात्र ऐसी कंपनी है, जहां सीईओ को कम और उनके जूनियरों को ज्यादा तनख्वाह दी जाती है। सीईओ टिम कुक को 2014 में 56 करोड़ रुपए का पैकेज मिला। जबकि उनकी मातहत सीनियर वाइस प्रेसिडेंट एंजेला एरेंट्स का पैकेज 451 करोड़ रुपए का था। एंजेला एपल के रिटेल सेक्शन की प्रमुख हैं। मजे की बात है एपल में एंजेला अकेली नहीं हैं, जिन्हें सीईओ से ज्यादा वेतन दिया जा रहा है। ऑनलाइन यूनिट के प्रमुख एडी क्यू, सीएफओ लूका मैस्ट्री और चीफ ऑफ ऑपरेशंस जेफरी विलियम्स ने भी पिछले साल कुक से ज्यादा वेतन लिया है।

एंजेला2006 से लग्जरी रिटेलर बरबेरी की सीईओ थीं। उन्होंने 157 साल पुरानी कंपनी का कायाकल्प किया। मई 2014 में एपल में आईं। इस साल सैलरी, बोनस, स्टॉक समेत कुल 451 करोड़ रुपए मिले। बरबेरी छोड़ते वक्त उन्हें स्टॉक ऑप्शंस कंपनी को वापस करने पड़े थे। एपल ने उसकी भरपाई 227 करोड़ रुपए के शेयर देकर की। फ्यूचर स्टॉक के रूप में 203 करोड़ रु. के शेयर मिले। बाकी सैलरी अलग से। चीनमें कारोबार 70% बढ़ाने का श्रेय भी एंजेला को दिया जाता है।