गांवों में बिजली ज्यादा मंहगी करने की तैयारी, नियामक आयोग में याचिका

Jun 26, 2019

सुमन त्रिपाठी

भोपाल, 26 जून। मध्यप्रदेश सरकार भले ही किसानों और ग्रामीणों की सबसे ज्यादा हितैषी होने का राग अलाप रही हो लेकिन सरकार के उपक्रम के रूप में काम कर रही बिजली कंपनियां इससे इत्तेफाक नहीं रखती हैं। इसलिए वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए बिजली की दरों में बढोत्तरी के लिए विद्युत नियामक आयोग के समक्ष दायर की गई याचिका में कपंनियों ने कृषि और ग्रामीण क्षेत्र की बिजली सबसे ज्यादा मंहगी करने का प्रस्ताव किया है। कंपनियों की ओर से दायर याचिका में लगभग 4098 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राजस्व प्राप्ति के लिए बिजली की दरों में औसतन 12.03 फीसदी वृद्धि का प्रस्ताव दिया गया है।

मध्यप्रदेश में एक तरफ तो बिजली कटौती को लेकर सरकार की किरकिरी हो रही है और दूसरी ओर बिजली की दरें बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है। तीनों विद्युत वितरण कंपनियों की ओर से विद्युत नियामक आयोग के समक्ष टैरिफ में वृद्धि की याचिका दायर की गई है। मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, पूर्व क्षेत्र वितरण कंपनी और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की ओर से मध्यप्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी ने यह याचिका दायर की है। विद्युत नियामक आयोग बहुत जल्द इस पर सुनावई करके फैसला देगा। इस याचिका में बताया गया है कि बिजली कंपनियों को अभी 34,065 करोड़ रुपए वार्षिक आय हो रही है, लेकिन अब अपने खर्चों की पूर्ति के लिए उसे 38,163 करोड़ रुपए की जरूरत है। इसलिए आयोग से 4098 करोड़ के अतिरिक्त राजस्व की वसूली के लिए बिजली की दरें बढ़ाने की अनुमति मांगी गई है। सबसे अधिक 1542 करोड़ की वृद्धि पश्चिम क्षेत्र कंपनी की ओर से मांगी गई है। पूर्वी क्षेत्र कंपनी ने 1259 करोड़ और मध्य क्षेत्र कंपनी 1296 करोड़ अतिरिक्त राजस्व की जरूरत बताई है।

बिजली कंपनियों ने कुल 4098 करोड़ के अतिरिक्त राजस्व मांग की पूर्ति के लिए बिजली उपभोक्ताओं की अलग अलग श्रेणियों के लिए अलग अलग दरें तय किए जाने का प्रस्ताव दिया है। इस बार ग्रामीण और कृषि क्षेत्र पर अधिक वित्तीय भार डालने की मंशा इस याचिका में दिखाई पड़ती है। कंपनियों को घरेलू क्षेत्र की बिजली सप्लाई से अभी मिल रहे 9577 करोड़ को बढ़ाकर 10722 करोड़, गैर घरेलू क्षेत्र में मिल रहे 2899 करोड़ को बढ़ाकर 3224 करोड़ तथा कृषि क्षेत्र से मिलने वाले 11007 करोड़ रुपए को बढ़ाकर 12308 करोड़ करने का प्रस्ताव दिया गया है। इस तरह घरेलू क्षेत्र में 1145 करोड़, गैर घरेलू क्षेत्र में 325 करोड़ तथा कृषि क्षेत्र में 1307 करोड़ रुपए बढ़ाने की तैयारी है। बिजली कंपनियों ने कृषि क्षेत्र से ज्यादा राजस्व वसूलने के साथ ही ग्रामीणों की बिजली मंहगी करने की भी तैयारी की है। कंपनियों का कहना है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र की बिजली सप्लाई और बिलिंग सिस्टम अलग अलग नहीं होने के कारण दिक्कत आती है। इसलिए दोनों सेक्टर के उपभोक्ताओं की दरें एक जैसी कर दी जाएं। कंपनियों का प्रस्ताव है कि 50 यूनिट तक मासिक नियत प्रभार को बढ़ाकर 40 रुपए प्रति कनेक्शन कर दिया जाए, जो अभी शहरी क्षेत्र में 50 रुपए तथा ग्रामीण क्षेत्र में 35 रुपए है। इस तरह शहरी क्षेत्र में 10 रुपए की कमी होगी और ग्रामीण क्षेत्र में 5 रुपए की वृद्धि होगी। इसी तरह 51 से 100 यूनिट तक मासिक नियत प्रभार की दर अभी शहरी क्षेत्र में 90 रुपए प्रति कनेक्शन तथा ग्रामीण क्षेत्र में 65 रुपए प्रति कनेक्शन है। इसे बदलकर 80 रुपए करने का प्रस्ताव है इससे  शहरी क्षेत्र में 10 रु कम होंगे और ग्रामीण क्षेत्र में 15 रु. बढ़ जाएंगे। इसके अलावा 101 से 300 यूनिट तक यह दर शहरी क्षेत्र में 20 रुपए प्रति किलोवाट तथा ग्रामीण क्षेत्र में 17 रुपए प्रति किलोवाट है। इसे बदलकर 24 रुपए प्रति किलोवाट करने का प्रस्ताव दिया गया है। इसके शहरी उपभोक्ताओं को 4 रुपए की कमी होगी और ग्रामीणों के लिए 5 रु. प्रति किलोवाट की वृद्धि होगी। कंपनियों ने इसी क्रम में 300 से अधिक यूनिट के लिए दर 27 रुपए प्रति किलोवाट करने का प्रस्ताव दिया है। इससे ग्रामीण क्षेत्र की दरों में 6 रुपए की और शहरी क्षेत्र के लिए 5 रुपए प्रति किलोवाट की वृद्धि होगी। इस तरह बिजली कंपनियों ने इस बार ग्रामीण और कृषि क्षेत्र से अधिक वसूली का प्लान बनाया है। अब देखना है कि नियामक कितनी वृद्धि की अनुमति देता है।