खरगे ने बीजेपी को पांडव बताकर चुनाव के बीच बड़ा मुद्दा थमा दिया थमा
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 9 नवंबर। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे चुनाव अभियान की गहमागहमी के बीच भाजपा को पांडव बताकर भाजपा के हाथ बड़ा मुद्दा थमा दिया। भाजपा ने खुद को पांडव और कांग्रेस को कौरव मानते हुए इस चुनावी युद्ध को धर्मयुद्ध बता दिया। पीएम मोदी से लेकर सीएम शिवराज सिंह सहित बीजेपी के हर नेता पांडव-कौरव के मुद्दे पर आ गया है।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने मप्र की एक चुनावी सभा में कहा कि कांग्रेस के पास हर चुनाव क्षेत्र में एक उम्मीदवार है, लेकिन बीजेपी के पास चार हैं। एक (पार्टी) उम्मीदवार है जो दिखाई दे रहा है, लेकिन तीन अन्य हैं जो अदृश्य हैं....ईडी जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह एक स्टार प्रचारक की तरह प्रचार कर रहा है., दूसरा उम्मीदवार है सीबीआई, जो विपक्षी उम्मीदवारों को कमजोर करने के लिए उनके पीछे पड़ती है और तीसरा उम्मीदवार है आयकर विभाग। इन तीनों के अलावा पीएम मोदी और एमपी के सीएम चौहान भी हैं...वे प्राचीन समय के नहीं बल्कि आज के ‘पांच पांडव’ की तरह हैं, जो हमें हराने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हमें उन्हें सबक सिखाना होगा।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे ने यह बयान देकर बैठे बिठाए बीजेपी को बड़ा मुद्दा थमा दिया। बीजेपी के रणनीतिकार अब उस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में जुट गए हैं। वे साबित कर रहे हैं कि कांग्रेस खुद मान रही है कि वह कौरवों के साथ है और बीजेपी पांडवों के साथ है। ऐसे में कांग्रेस का पक्ष अपने आप अधर्म और अन्याय का हो जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश पहुंचते ही इस मुद्दे पर पलटवार किया। उन्होंने दमोह में कहा कि कांग्रेस के अध्यक्ष वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैं, लेकिन वो बस नाममात्र के रह गए हैं। कभी कभी वो खुद के मूड में आ जाते हैं। उन्होंने पांडवों को याद किया था, जब रिमोट चलता है, तब वो सनातन को गाली देते हैं, लेकिन रिमोट बंद होते ही उन्होंने सनातन को याद किया। उन्होंने कहा कि भाजपा में पांच पांडव हैं। मोदी ने कहा कि हमें गर्व है कि हम पांच पांडव की राह पर चल रहे है।मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी इसी ट्रैक पर आ गए हैं। सीएम ने एक सभा में कहा कि आखिरकार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मान ही लिया कि भारतीय जनता पार्टी पांडव और कांग्रेस कौरव है। उन्होंने कहा कि अब ये लड़ाई धर्म और अधर्म के बीच हो गई है। पांडव न्याय की लड़ाई लड़ते थे, जबकि कौरव स्वार्थ की। अब यह लड़ाई पांडव कौरव अर्थात धर्म और अधर्म के बीच हो गई है। महाभारत में तो एक ही धृतराष्ट्र था, लेकिन कांग्रेस में दो-दो हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का नाम लेकर कहा कि दोनों को अपने-अपने बेटों से मतलब है। दोनों अपने-अपने बेटों को मध्यप्रदेश में स्थापित करने के लिए चक्की के दो पाट हो गए हैं और कांग्रेस दोनों पाटों के बीच पिस रही है। धृतराष्ट्र वाली कांग्रेस कभी चुनाव नहीं जीत सकती।
चुनाव के काफी पहले से रामभद्राचार्य जैसे संत कहते आ रहे हैं कि इस बार का चुनाव धर्मयुद्ध है। इसमें वे इशारों-इशारों में बीजेपी को धर्म के साथ खड़ा बता चुके हैं। यह बात रामभद्राचार्य जी के अलावा भी कई संत महात्मा कर चुके हैं। भाजपा उन्हीं बयानों की दम पर इस चुनाव को सच में धर्मयुद्ध बनाना चाह रही थी। इसलिए राम मंदिर के मुद्दे को बीच में लाया गया। कांग्रेस ने पहले धर्मयुद्ध वाले मुद्दे पर खामोशी ओढ़ ली। उसे अच्छे से पता है कि अगर धर्म वाली पिच पर खेल शुरू हुआ तो कांग्रेस कमजोर साबित होगी। लेकिन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कौरव पांडव वाला मुद्दा उठाकर बीजेपी को उसका मुंहमांगा मुद्दा थमा दिया और अब बीजेपी इस चुनाव को धर्म युद्ध वाली लाइन पर लाने में जुट गई है।