कमलनाथ के बीजेपी में जाने की अटकलें गर्माईं
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 16 फरवरी। देश के दिग्गज कांग्रेसी नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ के भाजपा में शामिल होने की सियासी अटकलें बढ़ती जा रही हैं। पिछले काफी समय से कमलनाथ के खिलाफ बीजेपी के बड़े नेताओं की बयानबाजी बंद होने से गर्माती अटकलों को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के इस बयान ने और गर्मा दिया है कि अगर नाथ पिता पुत्र बीजेपी में आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा शुक्रवार को भोपाल में मीडिया से चर्चा कर रहे थे। उनसे सवाल किया गया कि क्या कमलनाथ और उनके सांसद पुत्र नकुलनाथ बीजेपी में आ सकते हैं। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि अगर वे बीजेपी में आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है। इस तरह नाथ पिता-पुत्र को भाजपा में आने का आफर देने वाले वीडी शर्मा ने कहा कि कांग्रेस द्वारा भगवान राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बहिष्कार से जिन्हें पीड़ा हुई है उनका बीजेपी में स्वागत है। वीडी शर्मा ने कहा कि जो देश और समाज के हित के लिए काम करना चाहता है, उसका स्वागत है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का विरोध किया है। इसे लेकर जिनके मन में पीड़ा है उनको अवसर मिलना चाहिए। इनमें कमलनाथ और नकुलनाथ भी हो सकते हैं। वीडी शर्मा के इस बयान को कई संदर्भों में जोड़कर देखा जा रहा है। बीजेपी के दिग्गज नेताओं की पिछले काफी समय से कमलनाथ के खिलाफ बयानबाजी बंद होना भी इसमें शामिल है। कमलनाथ के पुत्र और छिंदवाड़ा से सांसद नकुलनाथ के खिलाफ भी भाजपा की ओर से पिछले कई दिनों से तीखी टिप्पणियां नहीं हो रही हैं। बीजेपी के बड़े नेताओँ ने तो दोनों नाथों के खिलाफ कुछ समय से खामोशी ओढ़ रखी है।
मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ और उनके सांसद पुत्र नकुलनाथ की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक फोटो भी सोशल मीडिया पर वाइरल की जा रही है। कांग्रेस की ओर से इस वाइरल फोटो को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। इससे लग रहा है कि मध्यप्रदेश की राजनीति में कोई खिचड़ी तो पक रही है। असल में कमलनाथ, उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के पार्टी हाईकमान के तरीके से नाराज हैं। विधानसभा चुनावों में पार्टी की अप्रत्याशित पराजय के चलते कमलनाथ से हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा मांगा गया था। बताया जाता है कि कमलनाथ इस्तीफा देने को तैयार हो गए, लेकिन उनका कहना था कि कुछ महीने बाद ही होने जा रहे लोकसभा चुनाव तक उन्हें पद पर बने रहने दिया जाए। हाईकमान की ओर से इसके बाद उन्हें पदमुक्त करने का कोई कदम नहीं उठाया गया। सभी को लगा कि कमलनाथ जैसे बड़े कद के नेता की छोटी सी मांग को मान लिया गया है, लेकिन अचानक विधानसभा चुनाव में पराजित, कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे, जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। इसके साथ ही कई विवादों से घिरे दूसरे नेता उमंग सिंघार को नेता प्रतिपक्ष बना दिया गया। दोनों बड़ी नियुक्तियों को लेकर कमलनाथ से कोई राय मशविरा नहीं किया। हाईकमान के इस व्यवहार ने कमलनाथ को आहत किया है। उन्होंने पार्टी के कार्यक्रमों और गतिविधियों से खुद को अलग सा कर लिया है। यहां तक कि विधानसभा में विधायक के रूप में शपथ लेने के लिए भी वे पहले सत्र के दौरान नहीं आए। उन्हें बाद में स्पीकर ने अलग से शपथ दिलाई। इसके बाद उनके बीजेपी में जाने की अटकलें गर्माने लगीं। भाजपा के बड़े नेताओं ने उनके खिलाफ बयानबाजी बंद कर दी। इससे सियासी गलियारों में यह चर्चा और गर्मा गई कि कमलनाथ अपने पुत्र के साथ भाजपा में जा सकते हैं।