एमपी में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए संघ भी मैदान में उतरा
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 11 नवंबर। तमाम कोशिशों और तमाम दावों के बाद भी भाजपा का उच्च नेतृत्व मध्यप्रदेश में सत्ता में वापसी को लेकर संशकित है। इसके कई कारण बताए जा रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा कारण मैदानी कार्यकर्ता की नाराजगी है। इसलिए अब एमपी में भाजपा की जीत सुनिश्चत करने के लिए भाजपा का पितृ संगठन आरएसएस भी मैदान में उतर गया है।
मध्यप्रदेश जैसे राज्य में संघ और भाजपा दोनों जानते हैं कि संघ की शक्ति के बिना मध्यप्रदेश में बीजेपी का सत्तारूढ़ होना मुश्किल होता है। बीजेपी के कुछ नेताओं का यह भ्रम या मुगालता हर चुनाव में टूटता है कि पार्टी संघ के बिना भी चुनावी वैतरणी पार कर सकती है। इस बार के चुनाव में भी यही स्थिति बन रही है। अभी तक बीजेपी के कुछ नेताओँ और रणनीतिकारों को लग रहा था कि संघ के बिना सत्ता की लड़ाई में जीत हासिल कर लेंगे। इसमें सबसे बड़ा रोड़ा अपने लोग ही बन गए हैं। टिकट वितरण में हुई लापरवाही अब पार्टी को भारी पड़ रही है। अमित शाह जैसे नेताओं की मान मनौव्वल भी कमाल नहीं दिखा पाई। इसलिए आखिरकार संघ का सहारा ही लेना पड़ा। इसी क्रम में संघ के प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक मुख्यमंत्री निवास पर हुई। इसमें अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख अरुण जैन, क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते और राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश ने सीएम शिवराज सिंह चौहान, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद से लंबी चर्चा की। बैठक में इन सभी नेताओं ने भाजपा के चुनाव अभियान की समीक्षा की। चुनाव में मैदानी जमावट और माइक्रो इलेक्शन मैनेजमेंट के संदर्भ में संघ भाजपा को किस तरह से परोक्ष रूप से मदद कर सकता है इस पर गहन मंत्रणा की। इसके साथ बैठक में नाराज होकर घर बैठे भाजपा कार्यकर्ताओं को मनाने और उन्हें चुनाव मैदान कैसे लाया जाए इस पर विचार किया गया। पार्टी और संघ को इस बात का अच्छी तरह से अहसास हो गया है कि, यदि भाजपा कार्यकर्ता, जो कि पार्टी की ताकत है, को घर से बाहर नहीं निकाला, तो इस बार चुनाव में भाजपा को मुंह की खानी पड़ सकती है। इसके बाद तय हुआ कि नाराज कार्यकर्ताओं को मैदान में लाने का काम भी संघ के पदाधिकारी अपने तरीके से करेंगे। जिसमें अरूण जैन और दीपक बिस्पुते पूरे प्रदेश की मानीटरिंग के साथ ग्वालियर-चंबल संभाग की 34 सीटों पर और महाकौशल क्षेत्र की 38 सीटों पर नजर रख रहे हैं।
संघ के कार्यकर्ता और चुनावी रणनीति में शामिल लोग अपनी रिपोर्ट सीधे क्षेत्र प्रचारक को भेजेंगे और उसके अनुसार अगला कदम उठाया जाएगा। संघ और भाजपा दोनों जानते हैं कि अगर नाराज कार्यकर्ता मूलतः भाजपा का है तो संघ के मनाने पर इतना तो मान जाएगा कि वह चुनाव में खामोश भले ही रहे लेकिन पार्टी का नुकसान न करे। भाजपा के नेताओँ ने संघ की रणनीति के बाद राहत की सांस ली है।