आपरेशन लोटस जैसे अभियान की आशंका में सियासी दल परेशान

Dec 02, 2023

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 2 दिसंबर। ओपीनियन पोल और एक्जिट पोल के अनुमानों में भारी अंतर ने राजनीतिक विश्लेषकों के साथ सियासी दलों को भी चौंका दिया है। इसलिए अब वास्तविक जनादेश को लेकर सियासी दलों की चिंता बढ़ गई है। कमलनाथ सरकार को गिराने वाले आपरेशन लोटस जैसे अभियान की आशंकी सियासी दलों को परेशान कर रही है। इसलिए दोनों प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा नई रणनीति बनाने में जुट गए हैं।

मध्यप्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही सत्ता में आने का दावा कर रहे हैं। दोनों की दावेदारी की दम के पीछे अलग अलग कारण हैं। लेकिन दोनों को इस बात का डर सता रहा है कि कहीं जीते हुए विधायकों की तोड़फोड़ न हो जाए.. सत्ता में आने का दावा कर रहे दोनों दलों को इस बार अपने बागियों के जीतने की आशंका ज्यादा लग रही है। बागी के रूप में जीतने वाले प्रत्याशी का साफ्ट कार्नर भले ही पार्टी के प्रति बना रहे लेकिन उसका आकर्षण सत्ता की कुर्सी की ओर अधिक होगा। इसलिए वह उस दल का साथ दे सकता है जिससे उसे सत्ता में भागीदारी की संभावना अधिक है। दोनों ही पार्टियों को लग रहा है कि उनके विधायकों को भी लालच देने की कोशिश हो सकती है। इसलिए इस बार दोनों ही दल पहले से तैयारी में जुट गए हैं। इसके लिए जर्बदस्त किलेबंदी की तैयारी अभी से की जा रही है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल चुनाव बाद अपने विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए अलग-अलग प्लान पर काम कर रहे हैं। यह चिंता भाजपा की तुलना में कांग्रेस को ज्यादा है। कमलनाथ की सरकार 2020 में इसी तरह अदला-बदली में गिर गई थी। इसी वजह से कांग्रेस में ज्यादा चिंता है और उनकी जीते हुए विधायकों की किलेबंदी की तैयारी भी अभी से शुरू हो गई है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पीसीसी चीफ और सीएम फेस कमलनाथ के बेहद करीबी एक नेता को चुनाव बाद विधायकों को एकजुट रखने की जिम्मेदारी सौंप गई है। कहा जा रहा है कि यदि मुकाबला बेहद नजदीकी हुआ तो कांग्रेस विधायकों को तुरंत बेंगलुरु शिफ्ट किया जा सकता है, जहां फिलहाल कांग्रेस की सरकार है। इसके लिए कर्नाटक की सरकार को भी अलर्ट मोड में रहने के संकेत पार्टी आलाकमान से दे दिए गए हैं। बीजेपी में भी मतदान के बाद की रणनीति तैयार करने के सारे सूत्र अलाकमान के पास है। दिग्गज नेताओं की टीम लगातार इसके लिए मंथन में जुटी हुई है। बीजेपी की तैयारी है कि यदि बहुमत से कुछ सीटों का आंकड़ा कम रह जाता है तो कांग्रेस छोड़कर बाकी दलों और निर्दलीय जीते विधायकों को साथ लेने का प्रयास सबसे पहले किया जाएगा। इसके लिए आपरेशन लोटस जैसे प्लान की प्रतीक्षा इस बार नहीं की जाएगी। यह आपरेशन त्वरति प्रभाव से किया जाएगा।

जीत के बाद की चिंता में दुबले हो रहे दलों ने अपने विधायकों को बचाने और दूसरे के विधायकों को तोड़ने की रणनीति बनाने के साथ साथ चुनाव में हर प्वाइंट पर दमदारी के साथ खड़े रहने की योजना भी बनाई है। इसलिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही सभी प्रत्याशियों और उनके मतगणना एजेटों को बुलाकर इस बात का प्रशिक्षण दिया है कि मतगणना में किस तरह से सजगता बरतनी है। दोनों ही पार्टियों के बड़े नेता लगातार प्रत्याशियों के संपर्क में हैं उन्हें बता रहे है कि विरोधी लोग किस स्तर पर गड़बड़ी कर सकते हैं और उससे कैसे बचना है।