कामाख्या मंदिर: जहां देवी के रजस्वला होने पर लगता है मेला

असम की राजधानी गुवाहटी स्थित मां कामाख्या का मंदिर देश के 52 शक्ति पीठों में प्रमुख और प्राचीनतम माना जाता है। यह इकलौता मंदिर है जहां मां भगवती के रजस्वला होने के आधार पर समारोह और अन्य आयोजन होते हैं। कहा यह भी जाता है कि माता के रजस्वला होने पर ब्रह्मपुत्र नदी का पानी भी लाल हो जाता है। यह तंत्र साधना का शक्ति पीठ है, इसलिए दुनिया भर के माता भक्तों की यहां...

Jun 24, 2016

लक्ष्मी जी पंचतत्वों के संतुलन से ही घर में आएँगी

घर में अगर लक्ष्मी का वास हो तो तमाम आपदाएं दूर ही रहती है, ऐसा पुरातनकाल से ही माना जाता है। इसलिए हर काल में लक्ष्मी जी की पूजा होती आई है। लेकिन लक्ष्मी जी भी तब आती है जब घर में पंच तत्वों का संतुलन हो और सब कुछ वास्तु सम्मत हो।  हमारे वेदों में कहा गया है कि सृष्टि के रचयिता ने सिर्फ पांच तत्वों क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा ( पृथ्वी, जल,अग्नि,...

Jun 17, 2016

पीढ़ी दर पीढ़ी सिंहस्थ के प्रति आस्था

तिथि, त्यौहार, पर्व, मेले आदि सभ्यता एवं संस्कृति के एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी तक के संवाहक होते हैं। इनके आयोजन से हमारी सांस्कृतिक परम्पराएँ जीवन्त हो उठती हैं। उज्जैन सिंहस्थ में आये शाजापुर जिले के ग्राम पोलाय कलां के हीरालाल चौधरी एवं तुलसीराम मण्डलोई की तरह अनेक श्रद्धालु ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी पूर्व पीढ़ियों अर्थात अपने दादा जी के साथ सन 1968 में पहला कुंभ स्नान किया था। आज उन्होंने अपने नातियों के साथ...

May 18, 2016

पवित्र और पुण्य-प्रदायिनी है क्षिप्रा

भारतीय संस्कृति के विकास में नदी-नालों, झरनों, तड़ागों तथा अन्य जलीय-स्थलों का अमूल्य योगदान रहा है। अवन्ती के सिंहस्थ महापर्व का क्षिप्रा के अमृतमय जल से अन्योन्याश्रित संबंध है। प्राचीन-काल में इस क्षेत्र में क्षिप्रा, नीलगंगा, गंधवती तथा नवनदी पवित्र जल की प्रवाहिणी थीं। प्रत्येक धार्मिक कृत्य के पूर्व इनमें स्नान कर देह शुद्धि जरूरी थी। वर्तमान में गंधवती एक नाले के रूप में प्रवाहित है, परन्तु नीलगंगा एवं नवनदी के अस्तित्व का ज्ञान नहीं...

Apr 21, 2016

कैसे करें प्रसन्न महालक्ष्मी को

माता लक्ष्मीजी के पूजन की सामग्री अपने सामर्थ्य के अनुसार होना चाहिए। इसमें लक्ष्मीजी को कुछ वस्तुएँ विशेष प्रिय हैं। उनका उपयोग करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं। इनका उपयोग अवश्य करना चाहिए। वस्त्र में इनका प्रिय वस्त्र लाल-गुलाबी या पीले रंग का रेशमी वस्त्र है।माताजी को पुष्प में कमल व गुलाब प्रिय है। फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े प्रिय हैं। सुगंध में केवड़ा, गुलाब, चंदन के इत्र का प्रयोग इनकी...

Nov 05, 2013