सिर्फ 80 करोड़ में बिक गया भारत का स्टेटस सिंबल

Feb 12, 2017

मुंबई। किसी जमाने में कार रखने वालों के लिए स्टेटस सिंबल कही जानी वाली एम्बेसडर कार ने कार प्रेमियों को अलविदा कह दिया। कभी रुतबे और रसूख का पर्याय मानी जाने वाली इस कार का निर्माण 2014 से बंद था, लेकिन अब यह कार बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान मोटर्स ने एम्बेसडर ब्रांड को फ्रांसीसी कंपनी पूजो को बेच दिया है। भारत के नामचीन औद्योगिक घराने बिड़ला ग्रुप की इस कंपनी ने स्टेटस सिंबल माना जाने वाला ब्रांड एम्बेसडर सिर्फ 80 करोड़ में बेचा है। इसे खरीदने वाली फ्रांसीसी कंपनी पूजो शायद ही इस ब्रांड को इसी नाम से सड़कों पर उतारे।

ब्रिटिश मॉरिस ऑक्सफोर्ड की तर्ज़ पर बनी एम्बेसडर कारें भारत में तीन दशकों तक बेस्ट सेलर रही हैं। एंबेसडर कार जब से अस्तित्व में आई तब से उसका डिज़ाइन लगभग वैसा ही रहा। पहली बार इस कार का निर्माण 1957 में शुरू हुआ। दशकों से ये कार देश की सत्ता और प्रशासन की पहचान रही है। इन पर संकट के बादल 2012 से गहरा गए। हिंदुस्तान मोटर्स कंपनी के अनुसार कोलकाता के नज़दीक कार निर्माण संयंत्र को कम उत्पादन, बढ़ते कर्ज और माँग की कमी की वज़ह से 2014 से अनिश्चित समय के लिए रोक दिया गया। कंपनी के सभी ढ़ाई हज़ार कामगारों को बिना किसी भुगतान के छुट्टी दे दी गई। कंपनी का कहना है कि वो मार्च 2014 को खत्म हुए वित्त वर्ष में सिर्फ 2,200 कारें ही बेच पाई।

एम्बेसडर कार की पहचान आम तौर पर राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों के रसूख से जुड़ी हुई है। यही वज़ह है कि चरमपंथियों ने इस कार का इस्तेमाल 2001 में संसद पर किए हमले में किया था। लंबे समय तक देश की सड़कों की पहचान रही ये कार दिन प्रति दिन भारतीय बाज़ार में नए कारों के आने के कारण प्रतिस्पर्धा में दौड़ से बाहर होती जा रही थी। लेकिन ये कार टैक्सी ड्राइवरों, कुछ राजनेताओं और पर्यटकों के बीच अभी भी काफ़ी लोकप्रिय हैं। अकेले कोलकाता में 33 हजार एंबेसडर कार टैक्सी के तौर पर चल रही हैं, लेकिन अब नई गाड़ियां तेजी से उसे पीछे छोड़ रही हैं।