इंफोसिस के नए चेयरमैन सबकी चिंताएं दूर करेंगे
बेंगलुरु। एक बार फिर इनफोसिस की कमान संभालने वाले नंदन नीलेकणि ने निवेशकों और कर्मचारियों की चिंताएं दूर करना अपना पहला टारगेट तय किया है। बतौर इंफोसिस चेयरमैन दूसरी पारी शुरू करते ही नंदन ने इस बात के संकेत दे दिए। उनकी नजर कंपनी के मुख्य संस्थापक नारायण मूर्ति के साथ बोर्ड के संबंध सुधारने पर टिक गई है।
नीलेकणि कंपनी के सात संस्थापकों में से एक हैं। वे कंपनी के सीईओ भी रहे हैं। चेयरमैन की कुर्सी संभालते ही उन्होंने कहा कि वे कंपनी में वापस लाए गए हैं क्योंकि बहुत विपरीत परिस्थितियों में काम करने और सफल रहने का उनका रिकॉर्ड रहा है। उन्होंने कहा कि उनका पहला लक्ष्य है स्थायित्व लाना और यह सुनिश्चित करना कि बोर्ड सदस्यों से लेकर निवेशक तक सभी एक साथ हों। दूसरा लक्ष्य यथाशीघ्र सीईओ की नियुक्ति की प्रक्रिया को शुरू करना है, जिसके लिए एक सर्च एजेंसी को भी चुना गया है। उन्होंने बोर्ड के लिए टिकाऊ प्रशासनिक ढांचा बनाने की बात भी कही। इसके लिए नामांकन कमेटी से अक्टूबर तक रिपोर्ट मांगी गई है। रणनीति की समीक्षा और भविष्य को लेकर अक्टूबर में ब्लूप्रिंट पेश करने को भी नीलेकणि ने अपने लक्ष्यों में शुमार किया। हालांकि उन्होंने इस सवाल को टाल दिया कि सिक्का द्वारा 2021 तक 20 अरब डॉलर (1,280 अरब रुपये) के राजस्व के लक्ष्य की समीक्षा होगी या नहीं।
नीलेकणि ने कंपनी संस्थापकों और बोर्ड के बीच मतभेदों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि मैं 100 फीसद हिस्सेदारों का प्रतिनिधि हूं और सुनिश्चित करना चाहता हूं कि दूरदर्शी व्यक्तित्व व सह संस्थापक नारायणमूर्ति और बोर्ड के बीच अच्छे संबंध बने रहें। नीलेकणि ने मूर्ति और कुछ अन्य संस्थापकों की ओर से कंपनी के प्रशासन को लेकर शिकायतों को भी गंभीरता से लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि मैं निजी तौर पर निष्पक्ष होकर जांच रिपोर्ट देखूंगा और उचित कार्रवाई का फैसला करूंगा। हालांकि इजरायल की कंपनी पनाया के अधिग्रहण में धांधली को लेकर आई जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के सवाल को उन्होंने टाल दिया।