तस्करी के खिलाफ लड़ने वाली महिला को मिली अतंर्राष्ट्रीय पहचान

Sep 05, 2013

महिला तस्करी के डर से मोनिका सरकार की शादी मात्र 12 साल की उम्र में कर दी गई थी। इसके बाद भी ससुराल वालों ने उसे बेचे जाने की साजिश रची, जिससे वह किसी तरह बच निकलने में कामयाब रहीं। अब मानव तस्करी के खिलाफ मोनिका ने अभियान छेड़ रखा है और उनके अदम्य साहस को रोकने की क्षमता किसी में भी नहीं है। हाल ही में मोनिका को मानव तस्करी के खिलाफ लड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली है। 


पश्चिम बंगाल महिला आयोग ने मोनिका का मानव-तस्करी की खिलाफत करने वाली योद्धा के रूप में स्वागत किया है। 32 वर्षीया मोनिका अब इंटरनेशनल विजिटर लीडरशिप प्रोगाम (आईवीएलपी) के तहत अगले साल अमेरिका जाएंगी।

मोनिका ने कहा, "मैं खुश हूं कि मेरी मेहनत और मेरी लड़ाई को अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल रही है। मैं उन अभिभावकों के चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर ज्यादा खुश होती हूं जिन्हें तस्करी का शिकार हुईं उनकी बेटियां वापस मिल गई हैं।"

मोनिका ने मानव तस्करी के खिलाफ अपनी जंग सालों पहले ही छेड़ दी थी। वह नार्थ 24 परगना जिले में कई गैर सरकारी संस्थाओं के साथ काम कर रही थीं। दो बच्चों की मां मोनिका खुद भी ऐसे माहौल में पली और बड़ी हुईं, जहां महिलाओं की तस्करी का मुद्दा हर परिवार की त्रासदी है।

उन्होंने अपनी लड़ाई की शुरुआत अपने गांव सयेस्तानगर की लापता किशोरियों और युवतियों के नाम और आंकड़े इकट्ठे करने के साथ की।

अपने संघर्ष को आगे बढ़ाने के साथ उन्होंने तस्करों द्वारा देह व्यापार में धकेली गई और फिर उनके चंगुल से छुड़ाई गई लड़कियों के परिवारों को समझा-बुझाकर अपनी बेटियों को वापस अपनाने को राजी किया।

आज बचाई गई ज्यादातर लड़कियां उनके अभियान का हिस्सा हैं और तस्करी के खिलाफ संघर्ष में सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं।

मोनिका कहती हैं, "मेरा सपना है कि हर एक लड़की शिक्षित हो और उन्हें मैं आजादी से एक बेहतर जीवन जीते देखूं।"

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