लोकरंग रवींद्र भवन में में 26 से 30 जनवरी तक, कला संस्कृति के होंगे नए रंग
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 23 जनवरी। गणतंत्र दिवस के मौके पर आयोजित होने वाला पांच दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव लोकरंग इस बार कला और संस्कृति और स्वाद के नए रंगों के साथ आयोजित होगा। यह आयोजन 26 से 30 जनवरी तक रवींद्र भवन परिसर में होगा। इसमें जनजातीय और लोक प्रदर्शनकारी तथा रूपंकर कलाओं से जुड़े कई आयोजन होंगे।
संस्कृति विभाग का प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन लोकरंग की तैयारियां पूरी हो गई हैं। लोक रंग का यह 35वां वर्ष है। पांच दिन के इस सांस्कृतिक समारोह में विषय आधारित समवेत सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, समूह नृत्य प्रस्तुतियां, पारम्परिक जनजातीय और लोकनृत्य, गायन, विषय आधारित प्रदर्शनी बच्चों के लिए सृजनात्मक गतिविधियां तथा पारंपरिक शिल्पियों का शिल्प सृजन प्रदर्शन सहविक्रय और व्यंजन मेला आयोजित किया जाएगा। शुभारम्भ संध्या अवसर पर 26 जनवरी को गोण्ड आख्यान आधारित समवेत नृत्य—नाट्य 'राजा पेमलशाह' प्रस्तुत किया जाएगा। इसके लेखक नवल शुक्ल, निर्देशक रामचंद्र सिंह और सूत्रधार हिन्दी फिल्म के अभिनेता शहनबाज खान हैं।
समारोह में 27 जनवरी को घूमर में मालवी परम्परा का समवेत नृत्य—गायन प्रतिभा रघुवंशी उज्जैन के निर्देशन में, भील जनजातीय भगोरिया नृत्य प्रताप भील धार के निर्देशन में,पुरलिया छाउ नृत्य विश्वदेव महतो राची के निर्देशन में होगा। अगले दिन 28 जनवरी को आदि शिल्पी नृत्य—नाटिका चन्द्रमाधव बारीक के निर्देशन में मंचित की जाएगी। धरोहर के तहत मध्यप्रदेश एवं अन्य राज्यों के जनजातीय एवं लोकनृत्यों का प्रदर्शन किया जाएगा। भारिया जनजातीय सैताम नृत्य' अनसुइया तेलीराम भारती,छिंदवाड़ा के निर्देशन में, 'गरबा,टिपणी एवं डांडिया रास' ध्वनिसेवक बसावडा अहमदाबाद (गुजरात) के निर्देशन में 28 जनवरी को होगा। इसी क्रम में 29 जनवरी को 'कोरकू जनजातीय गदली एवं थापटी नृत्य' मंशाराम,हरदा के निर्देशन में, शंख ध्वनि नृत्य राजेन्द्र महापात्र,उड़ीसा के निर्देशन में होगा। निमाडी परम्परा का समवेत गणगौर नृत्य गायन संजय महाजन,बड़वाह के निर्देशन में 29 जनवरी को सायं 7 बजे प्रस्तुत किया जायेगा।
समारोह के अंतिम दिन 30 जनवरी को सूफी गायन होगा। इसमें ध्रव सांगड़ी (दिल्ली) पीर पराई जाने रे.. सूफी गायन प्रस्तुत करेंगे। लोकरंग के विशाल परिसर में एक आकर्षण व्यंजन मेले का भी है। पाक कला में माहिर विभिन्न राज्यों जनजातीय देशज के व्यंजनकार अपने व्यंजनों से लुभायेंगे।
लोकरंग में उल्लास के तहत 27 से 30 जनवरी तक प्रतिदिन बच्चों के गतिविधयों रूझान अनुसार विषय आधारित में महात्मा गांधी जी की दास्तान, कागज के खिलौने, कविता—कहानी सुनने—सुनाने, लिखने और चित्रों को बनाने की गतिविधयां होंगी। देशातंर के तहत 27 से 29 जनवरी तक प्रतिदिन विदेशी कलारूपों का प्रदर्शन होगा। समारोह में लोकराग के तहत 28 से 29 जनवरी प्रतिदिन सायं 7 बजे से प्रस्तुतिया होंगी और 'देशराग' अंतर्गत 27 से 29 जनवरी प्रतिदिन सायं 7 बजे से प्रस्तुतियाँ होंगी। इसमें 27 जनवरी को देशराग' में बब्बन रवारी,गुजरात 'रवारी गायन' प्रस्तुत करेंगे और 28 जनवरी को 'लोकराग' अंतर्गत फूलवती, डिण्डौरी 'बैगा जनजातीय गायन' की प्रस्तुति देंगी। इसके पश्चात 'देशराग' अंतर्गत शाहिद नियाजी नियाजी ब्रदर्स —रामपुर (उत्तरप्रदेश) 'कव्वाली गायन' प्रस्तुत करेंगे। इसी क्रम में 29 जनवरी को 'लोकराग' के अंतर्गत रामरती अखण्डे, हरदा 'कोरकू जनजातीय गायन' प्रस्तुत करेंगी। इसके पश्चात 'देशराग' अंतर्गत शाहिर अवधूत बापूराव विभूते,महाराष्ट्र ' पोवाड़ा गायन' प्रस्तुत करेंगे। समारोह में प्रतिदिन प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से गोण्डों के कथा साक्ष्य के चित्र प्रदर्शनी गोण्डवानी,सौन्दर्य की नदी नर्मदा के जनजातीय कथा चित्रों की प्रदर्शनी शाश्वत,मिट्टी के खेल—खिलौनों एकाग्र प्रदर्शनी पिट्टू, गोण्ड जनजातीय चित्र शिविर एवं जनजातीय चित्र सृजन सह—विक्रय नाहाडोरा,विविध माध्यमों के शिल्प सृजन—सह विक्रय आकार,संस्कृति,कला और साहित्य आधारित पुस्तकें लोकवार्ता एवं अलग—अलग माध्यमों में शिल्प विक्रय की प्रदर्शनी रहेगी।