स्टेट स्कूल आफ ड्रामा में नहीं थम रहा छात्रों का विवाद
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 12 फरवरी। एमपी स्टेट स्कूल आफ ड्रामा ( मध्यप्रदेश राज्य नाट्य विद्यालय) में मचा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। विद्यालय के वर्तमान बैच के विद्यार्थियों ने अपनी समस्याओं के समाधान के लिए विद्यालय प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। मुख्यमंत्री और संस्कृति सचिव तथा विद्यालय के निदेशक को ज्ञापन देने के बाद अब विद्यार्थी सोशल मीडिया पर सक्रिय होकर विरोध जता रहे हैं। छात्रों का सारा गुस्सा विद्यालय के निदेशक के खिलाफ है।
नाट्य विद्यालय में इस समय आठवां बैच चल रहा है। कुछ समय पहले ही विद्यालय की कमान संभालने वाले नए निदेशक के तमाम फैसलों से विद्यार्थी नाराज हैं। कक्षाओं का बहिष्कार, नारेबाजी और ज्ञापन के बाद अब विद्यार्थी सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों के जरिए अपनी समस्या रख कर जन समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि बजट का हवाला देकर विद्यार्थियों की सुविधाओं में कटौती की जा रही है। उचित सुविधाएं नहीं मिलने के कारण विद्यालय में आनेवाले शिक्षक निराश होकर बीच में ही कक्षाएं छोड़कर जा रहे हैं। विद्यार्थियों के अनुसार रामेश्वर प्रेम और निकोलस डच जैसे विद्वान शिक्षकों ने यही किया है। छात्रों का कहना है कि भारंगम (दिल्ली ) में हर साल होने वाली छात्रों की ट्रिप कैंसिल कर दी गई है। बिना कारण रातों-रात हास्टल खाली करने के आदेश जारी कर दिए जाते हैं। नाटकों के मंचन हेतु उचित वस्त्र और मंच सामग्री का उपयोग नहीं करवाया जाता है।विद्यार्थियों का कहना है स्कूल के अपने रंग महोत्सव नवागत को कैंसिल कर दिया गया। निदेशक द्वारा मीडिया में गलत जानकारी देकर खबरे छपवाई जाती हैं। विद्यार्थियों का यह भी आरोप है कि निदेशक द्वारा लिखित आदेश कम और मौखिक आदेश ज्यादा दिया जाता है और बाद में उससे मुकर जाना भी बड़ी समस्या है। विद्यार्थियों का कहना है कि पिछली इंटर्नशिप का भुगतान अभी तक बकाया है। उनका कहना है कि नवागत के लिए 10 की जगह केवल 5 नाटक बुलाएए गए, रुकने और भोजन की सुविधाएं देने से मना कर दिया गया और अंतत: नवागत ही कैंसिल कर दिया गया। ऐसा वाकया, महोत्सव आरम्भ होने के बाद से पहली बार हुआ है। विद्यार्थियों का आरोप है कि सर्टीफिकेट डिस्ट्रीब्यूशन फंक्शन को भी इसी तरह से रद्द कर दिया गया। पहले सभी पास आउट को मेल किए गए। उसके बाद बिना कारण बताए कार्यक्रम ही निरस्त कर दिया गया। विद्यार्थियों का यह भी कहना है कि सत्र के आरंभ से ही निदेशक पर जातिसूचक शब्दों द्वारा स्टाफ को प्रताड़ित करने के, बच्चों पर व्यतिगत व्यंग्य एवं टिप्पणियां करने के आरोप लगते आ रहे हैं। अब बच्चों को डराने और धमकाने के आरोप भी लग रहे हैं। मेस की फीस एक दम से एक हजार रुपए बढ़ाने का भी छात्र विरोध कर रहे हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि बजट की कमी का हवाला देकर ट्रेनिंग को कमतर (डिग्रेट) करना उचित नहीं कहा जा सकता है। इसकी बजाय बजट के अतिरिक्त उपाय किए जाने चाहिए।