भारत भवन में आयोजित बादल राग समारोह का समापन
खरी खरी संंवाददाता
भोपाल। बहुकला केंद्र भारत भवन में चल रहे बहुकलाओं के तीन दिवसीय आयोजन बादल राग समारोह के अंतिम दिन सोमवार को नृत्यों की मनमोहक जुगलबंदी देखने को मिली। पहले रिया झा और मधुरा चट्टोपाध्याय ने भरत नाट्यम की जुगलबंदी प्रस्तुत की और उनके बाद कलकत्ता से आईं देवश्री भट्टाचार्य और सोहनी देवनाथ द्वारा 'आए बदरा' नाम से कथक की जुगलबंदी प्रस्तुत की गई।
भारत भवन के इस प्रतिष्ठा आयोजन बादल राग के समापन समारोह का शुभारंभ भरत नाट्यम से हुआ। भरत नाट्यम नृत्यांगना डा लता सिंह मुंशी की दो शिष्याओं रिया झा और मधुरा चट्टोपाध्याय ने गणेश वंदना से कार्यक्रम का आगाज किया। इसके बाद पदम कृष्णानी बैगनो बारो..पर भगवान कृष्ण और मां यशोदा की लीला का मंचन दिखाया गया। इसमें बताया गया कि कैसे भगवान को मिट्टी खाता देखकर मां यशोदा उनका मुंह खुलवाती हैं और सारा ब्रह्मांड देख लेती हैं। अगली प्रस्तुति मधुरा चट्टोपाध्याय द्वारा सहदेव रचित अष्टपदी दी गई। इसके बाद नट भैरवी की प्रस्तुति रिया और मधुरा ने मिलकर दी। मंगलाचरण प्रस्तुति से उन्होंने अपनी 40 मिनट की प्रस्तुति का समापन किया।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में देवश्री भट्टाचार्य और सोहनी देवनाथ ने कथक की प्रस्तुति दी। संस्था आणि कर्णा के कम्पोजिशन में कथक की कुल 7 प्रस्तुतियां हुईं, जिनमें देवश्री भट्टाचार्या, सोहनी देवनाथ, शमिला, सोमदत्ता, तुलतुल और जयित द्वारा नृत्य की प्रस्तुतियां दी गईं। कथक की शुरुआत देवश्री और सोहनी ने रवींद्र नाथ टैगोर के नेचर प्रेम बाले गीत हृदय मंदिरों से की। इसमें मेघ गर्जन, बारिश की स्थितियों को दिखाते हुए बताया गया कि इस मौसम में मन कैसा प्रफुल्लित होता है। अगली प्रस्तुति भी टैगोर जी के गीत 'सावन गगन...' की रही। इसमें कृष्ण पक्ष अभिसारिका के राधा विरह भाव को दिखाया गया। जिसपर सोहानी द्वारा कथक नृत्य की प्रस्तुति दी गई, इसके बाद आई बदरा आधारित ठुमरी की बारी। जिसपर देवश्री भट्टाचार्या ने सोलो डांस की प्रस्तुति दी, इसमें अपने प्रियतम से मिलने की इच्छा और अंत में मिलन को अपने नृत्य परफॉर्मेंस में दिखाया गया। अगली प्रस्तुति आगरा घराने की बंदिश उमंड घन घुमंड बरसे बूंदरी पर क्लासिकल नृत्य की प्रस्तुति सभी 6 कलाकारों ने मिलकर दी।
कार्यक्रमों की श्रंखला में अगली प्रस्तुति इंस्ट्रूमेंट आधारित रही। साबिर खान द्वारा इनका कम्पोजिशन किया गया। इसमें सितार और सरोद की जुगलबंदी पर कथक की प्रस्तुति के बाद वाद्य यंत्रों पर झूला वादन हुआ और उसपर भी दोनों ही कलाकारों ने शानदार नृत्य प्रस्तुति दी, जिसे देखकर सब दंग रह गए। अंतिम प्रस्तुति में ताल पंचम राग हिन्दोल में तराना रही, इसपर सभी 6 कलाकारों ने अपनी नृत्य प्रस्तुति दी।