पावस व्याख्यान माला: गांधी को समझने के लिए उन्हें अपने व्यवहार में लाना होगा
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 10 अगस्मत। महात्मा गांधी के सिद्धांत, दर्शन, विचार और चिंतन पर केंद्रित मप्र राष्ट्रभाषा समिति की दो दिवसीय 26 वीं पावस व्याख्यान माला शनिवार को हिंदी भवन में शुरू हुई। कार्यक्रम के उदघाटन सत्र के मुख्य अतिथि केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री प्रह्लाद पटेल थे। अध्यक्षता भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी सुखदेव प्रसाद दुबे ने की। समारोह की विशिष्ट अतिथि प्रदेश की संस्कृति मंत्री डा विजयलक्ष्मी साधौ थीं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने कहा कि हम गांधी को जानना-समझना चाहते हैं तो हमें गांधी को अपने आचार-व्यवहार में लाना होगा। इसमें उनकी भाषायी दृढ़ता और संकल्प भी शामिल है। पटेल ने कहा कि देश की राजनीति में गांधी, दीनदयाल उपाध्याय और लोहिया के विचार ही अग्रणी रहे हैं। तीनों की ही मान्यता थी कि देश में हिन्दी के साथ ही आगे बढऩा है। क्षेत्रीय भाषाओं का अपना स्थान है लेकिन देश की एकता का एकमात्र विकल्प हिन्दी ही है। ऐसी व्याख्यान मालाओं से इसके लिए एक वातावरण तैयार होगा। कार्यक्रम की विशेष अतिथि प्रदेश की संस्कृति मंत्री डा विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा कि पावस व्याख्यानमाला की शुरुआत से ही जुड़ी रही हूं। इसमें जो विषय शामिल किए जाते हैं वे समय की आवश्यकता के अनुरूप होते हैं। मौजूदा समय में भी गांधी के विचारों को आगे बढ़ाना आवश्यक है। नि:संदेह इसमें यह व्याख्यामाला महती भूमिका निभाएगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सुखदेव प्रसाद ने कहा कि गांधी को समझने के लिए हमें गांधी के विचारों के स्तर तक उठना होगा। खासकर यदि हम नयी पीढ़ी को गांधी से जोडऩा चाहते हैं तो हमें गांधी के विचारों को आत्मसात करना होगा। कार्यक्रम के प्रारंभ में आयोजन की पृष्ठभूमि बताते हुए समिति के मंत्री संचालक कैलाशचंद्र पंत ने कहा कि आज सारी दुनिया गांधी के योगदान को समझने की कोशिश में है। ऐसे समय में यह निर्णय लिया गया कि इस वर्ष की व्याख्यानमाला को गांधी पर एकाग्र किया जाए। कार्यक्रम में पिछली पावस व्याख्यान माला के वयाख्यानों पर केन्द्रित पुस्तक संवाद हस्तक्षेप, समिति के उपाध्यक्ष एवं पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा द्वारा लिखित उननिषदों में तत्व चिंतन तथा उपनिषदों का सत्यान्वेषण, मीनाक्षी जोशी की किताब तस्वीर बदलनी चाहिए, डा स्मृति शुक्ला की किताब आलोचना के 31 निकष का लोकार्पण भी किया गया। अर्चना निगम के कैलाश पंत पर केन्द्रित शोधग्रंथ समिति के पुस्तकालय के लिए केन्द्रित किया गया। आरंभ में अतिथियों का स्वागत् व्याख्यान माला के संयोजक युगेश शर्मा ने किया। सरस्वती वंदना राजकुमारी शर्मा ने प्रस्तुत की तथा क्षमा पांडेय ने गांधी के प्रिय भजन वैष्णव जन की प्रस्तुति दी। संचालन जवाहर कर्नावट ने किया तथा आभार प्रदर्शन समिति के उपाध्यक्ष रघुनंदन शर्मा ने किया। शुभारंभ सत्र के बाद समिति के मोतीलाल स्मारक पुस्तकालय के विस्तारित खंड का लोकार्पण अतिथियों ने किया। शुभारंभ सत्र के बाद दो सत्र हुए। इनमें पहले सत्र में मानव सभ्यता को गांधी जी का अवदान्य और द्वितीय सत्र में सभ्यता मूलक विमर्श में गांधी का हस्तक्षेप्य विषय पर विमर्श हुए।