कैैनवास पर चित्रों से उकेेरी चंद्रशेखर आजाद की शौर्यगाथा
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 24 जुलाई। हिंदुस्तान की आजादी के संघर्ष के अमर क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद को उनकी जन्म जयंती के मौके पर भोपाल में अनूठे अंदाज में श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर स्वराज संस्थान की कला वीथिका में एक चित्र प्रदर्शनी लगाई है। इसमें करीब 40 चित्रों के माध्यम से आजाद की पूरी जीवन और शौर्य गाथा दिखाई है।
स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा आयोजित इस चित्र प्रदर्शनी में शामिल सभी चित्र प्रख्यात चित्रकार लक्ष्मण भांड द्वारा बनाए गए हैं। इन चित्रों को रंजना चितले ने अपने शब्दों में ढालकर आजाद की साहसिकता और निर्भीकता को प्रस्तुत किया है। मूछों पर ताव, कमर में पिस्टल कंधे पर जनेऊ और शेर सी शख्सियत वाले चंद्रशेखर आजाद की जीवन गाथा को बड़े सुंदर ढंग से इन चित्रों में सहेजा गया है। अमर शहीद आजाद का शौर्य और पराक्रम इन चित्रों मे दिखाई पड़ रहा है। इस चित्र प्रदर्शनी को ‘आजाद कथा’ नाम दिया गया है। चित्रों में बताया गया है कि अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अप्रतिम नायकों में में हैं और देश की वीरता और बलिदान के प्रतीक हैं। अंग्रेजी हुकूमत को 1925 में हुए काकोरी कांड ने बुरी तरह से हिला कर रख दिया था। इस मामले में अशफाक उल्ला खां, रामप्रसाद 'बिस्मिल' सहित कई अन्य मुख्य क्रांतिकारियों को मौत की सजा सुनाई गई। इसके बाद चंद्रशेखर ने हिंदुस्तान रिपब्लिकन संस्था का पुनर्गठन किया। भगवतीचरण वोहरा के संपर्क में आने के बाद वह भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु के भी करीब आ गए। भगत सिंह के साथ मिलकर चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजी हुकूमत को दहशत में ला दिया था। एक चित्र में 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में हत्याकांड को भी दिखाया है। इसमें बताया कि रोलेट एक्ट का विरोध करती सभा में लोगों पर जनरल डायर के निर्देश पर अंधाधुंध गोलीबारी हुई, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान गई थी। एक चित्र में यह भी दिखाया गया है कि इलाहाबाद में वे फरवरी 1931 नेहरू निवास आनंद भवन गए थे। वहां से निकल कर ही अल्फ्रेड पार्क चले गए थे। वहीं अंग्रेज पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई और अंतिम गोली उन्होंने खुद को मार ली। प्रदर्शनी में आजाद की जीवन यात्रा, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को चित्रों के माध्यम से देखा जा सकता है। इन चित्रों के अनुसार वे क्रांति मार्ग पर मजबूत कदमों से चलने वाले ऐसे दृष्टा थे, जिन्होंने अनेक बार मौत को मुस्कुराते हुए ललकारा। वे बिना रुके, बिना थके आजादी के संकल्प के साथ आगे बढ़ते रहे। देश की आजादी के लिए किये गये संघर्ष, साइमन कमीशन के विरोध में साण्डर्स वध, ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाये गये काले कानून के विरोध में बम विस्फोट और अनेक क्रांतिकारी आंदोलन की घटनाओं एवं उनके जीवन कृतित्व को दर्शाते चित्रों का अवलोकन स्वराज संस्थान में किया जा सकता है।