ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करना अभी कानूनी दांव-पेंच में उलझा
खरी खरी संवाददाता
भोपाल। मध्यप्रदेश में अन्य़ पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने के सरकार के कानून के खिलाफ दायर याचिकाएं हाईकोर्ट से खारिज हो जाने के बाद भी 27 फीसदी आरक्षण लागू करना आसान नहीं हैं। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर दायर सौ से ज्यादा याचिकाओं का निपटारा होने के पहले 27 फीसदी आरक्षण लागू करना संभव नहीं हैं। इस मुद्दे पर सियासी बयानबाजी भले होती रहे लेकिन यह मामला अभी भी कानूनी दांव-पेंच में उलझा रहेगा।
मध्यप्रदेश में ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। इस बढ़ा ने की सियासी कवायद सभी राजनीतिक दल समय समय पर करते रहे हैं। साल 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने इसे बढ़ाकर 27 फीसदी करने का जनता से पक्का वायदा किया। इस वायदे का कांग्रेस को लाभ भी मिला और वह 15 साल के अंतराल के बाद मध्यप्रदेश की सत्ता पाने में सफल रही। मुख्यमंत्री कमल नाथ ने वायदा निभाया और 27 फीसदी आरक्षण का कानून विधानसभा से पारित हो गया। सरकार ने इसे लागू करने का आदेश भी जारी कर दिया लेकिन कमलनाथ सरकार के इस आदेश को चुनौती देने के लिए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं। इसके साथ ही ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने के समर्थन में भी याचिकाएं दायर की गईं। हाईकोर्ट आशिता दुबे की याचिका पर स्टे दे दिया था। बाद में प्रदेश में सरकार बदल गई और नए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 27 फीसदी आरक्षण लागू करने के लिए नए सिरे से कवायद शुरू कर दी। सरकार ने महाधिवक्ता की सलाह पर एक सर्कुलर जारी कर कहा कि सिर्फ तीन भर्तियों पर नए आरक्षण नियम लागू करने पर स्टे है, इसलिए अन्य भती परीक्षाओं में नया आरक्षण प्रावधान लागू हो सकता है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ और समर्थन में भी याचिकाएं दायर हो गईं। हाईकोर्ट ने दो दिन पहले माना कि यूथ फॉर इक्वेलिटी और एक अन्य याचिका सही नही है। हाईकोर्ट ने दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया। इससे यह संदेश देने की कोशिश की गई कि अब 27 फीसदी आरक्षण लागू हो जाएगा। लेकिन कानून के जानकारों का कहना है कि हाईकोर्ट ने उस परिपत्र के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज की हैं, जिसमें तीन परीक्षाओं को छोड़कर अन्य में नए आरक्षण प्रावधान लागू करने का जिक्र था।मूल अधिनियम पर स्टे संबंधी याचिका पर अभी तक कोई फैसला नही हुआ है। इसलिए 27 फीसदी आरणक्ष लागू कर पाना संभव नहीं है। कानून के जानकारों का कहना है कि मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने के विरोध में अभी मूल याचिकाकर्ता अशिता दुबे की याचिका पर स्टे का आदेश बरकरार है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में भी ओबीसी आरक्षण की सीमा को लेकर समर्थन व विरोध में याचिकाएं लंबित हैं। इसलिए जब तक सुप्रीम कोर्ट में इन याचिकाओं पर फैसला नहीं आ जाता, तब तक मध्यप्रदश में ओबीसी आरक्षण की वर्तमान स्थिति लागू रहेगी। गौरतलब है कि अभी भी ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण के खिलाफ 100 से ज्यादा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। इस स्थिति में जब तक सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट आदेश नहीं दे देता, तब तक ओबीसी आरक्षण 27 परसेंट करने पर तस्वीर साफ नहीं हो सकती है।