राष्ट्रीय कला उत्सव का सीएम डा मोहन यादव ने किया शुभारंभ

 

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 3 जनवरी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को भोपाल में एनसीईआरटी परिसर में आयोजित राष्ट्रीय कला उत्सव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कला उत्सव के माध्यम से स्कूली छात्रों की कला को पहचानने और प्रतिभा को निखारने का अवसर मिला। साथ ही भारत जिसकी विशेषता अनेकता में एकता की है। वहां सांस्कृतिक रूप से समृद्ध विभिन्न विरासतों को देखने समझने का मौका मिलता है। उन्होंने कहा कि कंस वध के बाद श्रीकृष्ण शिक्षा प्राप्त करने इसी मध्यप्रदेश के सांदीपनी आश्रम आए और गुरुकुल पद्धति के माध्यम से शिक्षा ग्रहण की। श्रीकृष्ण 64 कला और 14 विधाओं में पारंगत थे इसीलिए कहा गया कि श्रीकृष्ण वंदे जगतगुरुं यानि शिष्य रहते भी उन्हें गुरु का दर्जा दिया गया। श्रीकृष्ण बांसुरी वादन करते थे तो सुदर्शन चक्र भी योग के माध्यम से धारण किया। उन्होंने विराट स्वरूप के दर्शन भी कराए। श्रीकृष्ण ने एक ही जीवन में कई स्वरूपों के दर्शन कराए, जिनकी कथाओं को भारत की अलग-अलग नृत्य विधाओं में प्रदर्शित किया जाता है।मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय कला एवं संस्कृति का संवर्धन न केवल राष्ट्र, बल्कि प्रत्येक नागरिक के लिए भी महत्वपूर्ण है। कला एवं संस्कृति विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों और नैतिकता की भावना को विकसित करती है, जिससे वे मशीनी होने की अपेक्षा संवदेनशील मनुष्य बन पाते हैं। कला की कोई भी विधा हो, यह अधिगम का एक सशक्त माध्यम है। कला चाहे नृत्य हो, गायन हो, वादन हो, चित्रण हो, शिल्पकला या अन्य कोई भी विधा हो अथवा स्थानीय/पारम्परिक खेल-खिलौने हों, ये सभी विधाएं विद्यार्थियों के शारीरिक, मानसिक, वैचारिक, सामाजिक, भावनात्मक और व्यावहारिक विकास में वृद्धि करती हैं। कला उत्सव, हमारे विद्यार्थियों को एक ऐसा मंच प्रदान कर रहा है, जहां वे संपूर्ण भारत के सांस्कृतिक रूप को समग्रता में अनुभव कर सकते हैं। कला उत्सव में अलग-अलग राज्यों से जुड़े छात्र-छात्राओं का परस्पर संवाद उन्हें संपूर्ण भारत से जुड़ाव की अनुभूति कराता है।

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