जाकिर खान: मैं अपनी बहुत इज्जत और अपना बहुत अपमान, दोनों की कल्पना करके ही चलता हूं

ओटीटी पर स्टैंडअप कमीडियन से लेकर शायर और ऐक्टर तक, हर रोल में धूम मचाने वाले जाकिर खान अब छोटे पर्दे पर अपना शो ‘आपका अपना जाकिर’ लेकर आए हैं। जाकिर का कहना है कि उनका लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचना है और टीवी उसी लक्ष्य की ओर एक और कोशिश है। पढ़िए, उनसे यह खास बातचीत

आप संगीत (सितार वादन), कॉमिडी, शायरी, ऐक्टिंग जैसी कला के विविध आयामों में दखल रखते हैं। खुद को इनमें से किसके सबसे करीब पाते हैं?
मैं आपको एक किस्सा सुनाता हूं। एक बार ट्रेन में मुझे एक बाबा जी मिले। चूंकि, मैं बहुत बात कर रहा था तो उन्होंने मुझे बुलाकर मेरा हाथ देखा और कहा कि तुम्हारे हाथ में ख्याति की रेखा है। मगर यह ख्याति की रेखा कर्म की रेखा से जुड़ी हुई है, तो ये तुम्हें तय करना है कि तुम्हें कितना प्रसिद्ध होना है। मोहल्ले में होना है, गली में होना है, प्रदेश में होना है, देश में होना है या विश्व में होना है। वैसे ये बहुत सामान्य बात है मगर बहुत निजी है। हम उनकी बात को सच मानते हुए मेहनत करते हैं और हर वो काम जो हमें थोड़ा और लोगों तक पहुंचाता है, वो करते हैं। मेरे जीवन के लक्ष्य में से एक यह है कि मुझे बहुत सारे लोगों तक पहुंचना है और उसके लिए जो भी काम मेरा वाहन बनता है, मैं उसका इस्तेमाल करता हूं। वह चाहे ऐक्टिंग हो, शायरी हो, कॉमिडी हो या और कुछ। मेरा इनमें से किसी से कोई प्रेम या लगाव नहीं है। मुझे लोगों से बहुत प्रेम है। मुझे उन तक पहुंचने, उनके मन की बातें करने, उनके दिल की बात समझने का शौक है।

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