बिहार चुनाव के लिए एनडीए में सीट शेयरिंग फाइनल

खरी खरी संवाददाता
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सीट शेयरिंग की घोषणा कर दी है। सबसे अधिक 101-101 सीटें गठबंधन के दो प्रमुख घटकों बीजेपी और, जेडीयू के हिस्से में आई हैं। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 29 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं अन्य सहयोगी दल जैसे- जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम पार्टी (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा के हिस्से में छह-छह सीटें आई हैं। पहले चरण के चुनाव (6 नवंबर) के लिए नामांकन की आख़िरी तारीख़ 17 अक्तूबर है।
सीट बँटवारे की औपचारिक घोषणा के साथ एनडीए ने बिहार के चुनावी रण में पहला दांव चल दिया है। सवाल यह है कि क्या यह क़दम विपक्षी महागठबंधन से आगे निकलने की अहम रणनीति साबित होगा? केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता धर्मेंद्र प्रधान ने एक्स पर पोस्ट किया, “हम एनडीए के साथियों ने सौहार्दपूर्ण वातावरण में सीटों का बँटवारा पूरा किया। एनडीए के सभी दलों के कार्यकर्ता और नेता इसका ख़ुशी के साथ स्वागत करते हैं।” हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी ने 8 अक्तूबर को एक्स पर लिखा था, “हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि उसमें भी कोई बाधा हो, तो दे दो केवल 15 ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम, HAM वही ख़ुशी से खाएँगे, परिजन पे असी ना उठाएँगे।”इस पोस्ट को बिहार में एचएएम पार्टी के 15 सीटों पर चुनाव लड़ने की हसरत से जोड़ा गया था। सीट बँटवारे के बाद एचएएम के प्रमुख जीतन राम मांझी से पूछा गया कि क्या वह इस फ़ैसले से ख़ुश हैं? इस सवाल पर उन्होंने कहा, “पार्लियामेंट (चुनाव) में हमको एक सीट मिली थी तो हम क्या नाराज़ थे। वैसे ही जैसे आज छह सीटों की बात की गई है यह आलाकमान का निर्णय है।”एनडीए में सिर्फ़ जीतन राम मांझी की पार्टी ने मांग के रूप 15 सीटों की संख्या बताई थी।
ख़ुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘हनुमान’ बताने वाले चिराग पासवान की पार्टी की तरफ़ से कहा जा रहा था कि उनकी पार्टी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। हालाँकि, एलजेपी (आर) ने स्पष्ट रूप से यह आँकड़ा नहीं बताया था कि उन्हें कितनी सीटें चाहिए। अब चिराग पासवान ने एक्स पर पोस्ट लिखा है कि सीटों का बँटवारा सौहार्दपूर्ण वातावरण में किया गया है। वहीं सीट शेयरिंग पर समझौते के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया एक्स पर पार्टी समर्थकों को संबोधित करते हुए लिखा, “आप सभी से क्षमा चाहता हूँ। आपके मन के अनुकूल सीटों की संख्या नहीं हो पाई। मैं समझ रहा हूँ, इस निर्णय से अपनी पार्टी के उम्मीदवार होने की इच्छा रखने वाले साथियों सहित हजारों-लाखों लोगों का मन दुखी होगा।”
“किसी भी निर्णय के पीछे कुछ परिस्थितियाँ ऐसी भी होती हैं जो बाहर से नहीं दिखतीं। हम जानते हैं कि अंदर की परिस्थितियों से अनभिज्ञता के कारण आपके मन में मेरे प्रति ग़ुस्सा भी होगा, जो स्वाभाविक भी है। आपसे विनम्र आग्रह है कि आप ग़ुस्से को शांत होने दीजिए।।”
अंग्रेज़ी अख़बार ‘द हिंदू’ की सीनियर डिप्टी एडिटर शोभना नायर का कहना है कि कई चुनौतियों के बावजूद बीजेपी-जेडीयू ने सीटों का बँटवारा कर लिया है।शोभना नायर कहती हैं, “जब बातचीत चल रही थी, तब बीजेपी 107 और जेडीयू 105 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती थी लेकिन उन्होंने अपने घटक दलों को साधकर दिखाया। एलजेपी (आर) काफ़ी ज़्यादा सीटों की मांग कर रही थी लेकिन बीजेपी ने 29 सीट देकर संतुष्ट करा दिया।” चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (अविभाजित) ने साल 2020 में एनडीए गठबंधन से अलग होकर स्वतंत्र रूप से 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था। हालाँकि, एलजेपी सिर्फ़ एक सीट पर जीत दर्ज कर पाई थी। इसे एनडीए के लिए एक नुक़सान के तौर पर देखा गया था।शोभना नायर बताती हैं, “चिराग पासवान ने भी ऐसा कोई बयान नहीं दिया, जो बीजेपी के ख़िलाफ़ जाए। उन्होंने संयमित तरीक़े से अपनी बात रखी। अब मांझी को मांग (15 सीट) से कम सीटें मिली हैं तो देखना होगा कि वो क्या करते हैं?” सीट बँटवारे के फ़ॉर्मूले के सवाल पर बीजेपी नेता अजय आलोक ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि इसमें कमोबेश वही फ़ॉर्मूला था, जो लोकसभा में था। इस बीच, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी ने इशारों-इशारों में महागठबंधन के सीट बँटवारे के बारे में बताया है। उन्होंने कहा, “महागठबंधन थोड़ा सा अस्वस्थ हुआ है । दिल्ली जा रहा हूँ और सभी डॉक्टर दिल्ली में हैं और वहाँ बेहतर उपचार हो जाएगा। स्वस्थ होकर पटना लौटेंगे।” शोभना नायर बताती हैं, “महागठबंधन में कई दिक़्क़तें हैं और हर तरफ़ से नाराज़गी का दौर चल रहा है। सीपीआई (एमएल) ख़ुश नहीं है। उन्होंने पिछले चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था, इसलिए वो ज़्यादा सीट मांग रहे हैं लेकिन महागठबंधन की तरफ़ से उन्हें पिछली बार की तरह सिर्फ़ 19 सीटें देने की बात की जा रही है। माले ने 40 सीट की मांग की थी और वो 30 तक आ गए थे।”
“कांग्रेस का कहना है कि उन्हें मज़बूत सीटें मिलें। पार्टी का तर्क है कि पिछली बार उन्हें जो 70 सीटें मिली थीं, उसमें 25 सीटें जिताऊँ थीं। इस बार कांग्रेस चाहती है कि उसे मज़बूत सीटें दी जाएँ।” शोभना नायर का मानना है कि सीट शेयरिंग पर इस तरह के रवैए से आरजेडी की असुरक्षा दिखाई देती है।