साठ साल बाद महाशिवरात्रि त्रिग्रही योग में मनाई जाएगी

खरी खरी डेस्क
देवाधिदेव महादेव व माता पार्वती के विवाह का पावन उत्सव महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी, बुधवार को त्रिग्रही योग में मनाया जाएगा। त्रिग्रही योग इससे पहले 60 वर्ष पूर्व मना था। ज्योतिष विद्वानों का मत है कि एक शताब्दी में एक बार महाशिवरात्रि पर त्रिग्रही योग बनता है।
मान्यता है कि त्रिग्रही योग में महाशिवरात्रि का व्रत और विधि-विधान के साथ आराधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार शिवरात्रि के दिन त्रिग्रही युति योग बन रहा है। ऐसा अद्भुत संयोग 60 साल पहले बना था। सूर्य, बुध व शनि की युति कुंभ राशि में बनेगी।
सूर्य व शनि पिता पुत्र हैं और सूर्य शनि की कक्षा अर्थात शनि की राशि कुंभ में रहेंगे।इस दृष्टि से यह विशिष्ट संयोग भी है। यह योग लगभग एक शताब्दी में एक बार बनता है। महाशिवरात्रि 26 फरवरी को बुधवार के दिन श्रवण उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, वणिज उपरांत शकुनीकरण योग बन रहे हैं। इस दौरान भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय करने फलदाक है। इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा करने का शास्त्रों में विशेष विधान बताया गया है। धार्मिक मान्यता है कि जो भी जातक इस दिन व्रत रखता है, नियमपूर्वक पूजा करता है, उसकी मनोकामना पूर्ण होने में समय नहीं लगता। जो भी श्रद्धालु इस दिन सच्चे मन से व्रत रखता है, उसके वैवाहिक जीवन में कभी कोई दिक्कत नहीं आती। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर आठ मिनट से प्रारंभ होकर 27 फरवरी को सुबह आठ बजकर 54 मिनट तक रहेगी। महाशिवरात्रि पर रात्रि के चार प्रहरों में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है।
प्रथम प्रहर- शाम छह बजकर 39 मिनट से रात नौ बजकर 43 मिनट तक
द्वितीय प्रहर- रात नौ बजकर 43 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 47 मिनट तक
तृतीय प्रहर- मध्यरात्रि 12 बजकर 47 मिनट से सुबह तीन बजकर 51 मिनट तक
चतुर्थ प्रहर- सुबह 3 बजकर 51 मिनट से छह 55 बजे तक।