सरकार के अनुरोध पर ओबीसी आरक्षण मामले की सुनवाई मध्य नवंबर तक टली

खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नवंबर के दूसरे सप्ताह तक के लिए टाल दी गई। रोज सुनवाई को तैयार सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील सालीस्टर जनरल तुषारकांत मेहता के अनुरोध पर सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाई है। सरकारी वकील का कहना था कि अदालत के समक्ष पेश की गई रिपोर्ट बहुत विस्तृत है। उसके तकनीकी पहलुओं को समझने के लिए वक्त चाहिए। एक दिन पहले भी सरकारी वकील ने यही तर्क देते हुए समय बढ़ाने की मांग की थी तो कोर्ट ने सुनवाई एक दिन बाद 9 अक्टूबर को रख दी,लेकिन आज भी सरकार की तरफ से यहीं मांग की गई तो मामले की सुनवाई फैसले तक रोज करने के अपने ही आदेश को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ताऱीख लंबे समय तक के लिए बढ़ा दी। कोर्ट ने एक दिन पहले ही समय मांगने पर तल्ख टिप्पणी की थी कि आप इस मामले को वापस हाईकोर्ट ही ले जाइए, वह ठीक से सुन सकेगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर सियासी बवाल खड़ा हो गया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार मामले को टाल रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोप लगाया “प्रदेश की मोहन सरकार फैसले को सुलझाना ही नहीं चाहती। ” सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक बार फिर कोर्ट से समय दिए जाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा “इसमें कई तकनीकी पहलू हैं, जिनको समझने के लिए थोड़ा और वक्त की जरूरत है।” तुषार मेहता ने 8 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से मामले की सुनवाई को 9 अक्टूबर को किए जाने का आग्रह किया था। तल्ख टिप्पणी करते हुए अदालत ने सुनवाई की तारीख एक दिन बढ़ा दी थी। बार-बार सुनवाई को टाले जाने को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा “एक दिन पहले मैं सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट गया था। हमारी तरफ से नामी वकील अभिषेक मनु सिंघवी ओबीसी आरक्षण की पैरवी कर रहे हैं। बार-बार सुनवाई टाले जाने से ओबीसी समाज को यह मैसेज जा रहा है कि प्रदेश की सरकार ओबीसी का आरक्षण चाहते ही नहीं है। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि आप इस पूरे मामले को सुलझाना चाहते ही नहीं हो। निर्णय तक ले जाने देना नहीं चाहते।” पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने आरोप लगाया “27 फीसदी आरक्षण के मामले में सरकार की नीति है कि कैसे भी सुनवाई आगे बढ़े। इस पर तर्क ही न हो और निर्णय तक मामला नहीं जाए। इसलिए सरकार ने 100 करोड़ रुपए वकीलों को दिए हैं। सरकार ने ओबीसी मामले में सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, वह सिर्फ एक नाटक था। कांग्रेस को भी सरकार अपने पाप में शामिल करना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस उस पाप में शामिल नहीं हुई।”