संघ प्रमुख की सरकार को सलाह, प्रजा की रक्षा के लिए राजधर्म निभाएं

खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली। केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी को उसके विचार प्रमुख आरएसएस सुप्रीमो डा मोहन भागवत ने राजधर्म निभाने की सलाह दी है। संघ प्रमुख ने यह सलाह पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद उपजी परिस्थितियों को देखते हुए दी है। यह माना जाता है कि बीजेपी के लिए संघ प्रमुख की सलाह एक तरह से आदेश होता है, संघ का कथन बीजेपी के लिए नीति निर्देश होता है।
पहलगाम हमले के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि अहिंसा हमारा धर्म है और गुंडों को सबक सिखाना भी हमारा धर्म है। हम अपने पड़ोसियों का कभी अपमान या नुकसान नहीं करते लेकिन फिर भी अगर कोई बुराई पर उतर आए तो दूसरा विकल्प क्या है? राजा का कर्तव्य प्रजा की रक्षा करना है, राजा को अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। वे राजधानी दिल्ली में आयोजित एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में बोल रहे थे। कार्यक्रम में पहलगाम आतंकी हमले में जान गंवाने वाले पर्यटकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि हमारा धर्म संतुलन देने वाला धर्म है। हमारे यहां स्पष्ट उल्लेख है। …अहिंसा ही हमारा स्वभाव, हमारा मूल्य है। हमारी अहिंसा लोगों को अहिंसक बनाने के लिए है। कुछ लोग (अहिंसक) बन जाएंगे, कुछ लोग बिगड़ जाएंगे…और इतने बिगड़ जाएंगे कि दुनिया में उपद्रव करेंगे। हम किसी के दुश्मन नहीं हैं। द्वेष हमारा स्वभाव नहीं है। रावण का वध भी उसके कल्याण के लिए हुआ। संहार को हिंसा नहीं कहते। आततायियों से मार न खाना और गुंडागर्दियों को सबक सिखाना, यह भी हमारा धर्म है। पाश्चत्य विचार पद्धति में यह दोनों चीजें एक साथ नहीं चल सकतीं। वहां यह संतुलन ही नहीं है, लेकिन हमारे यहां यह संतुलन है।हम कभी भी अपने पड़ोसियों का कोई अपमान, कोई हानि नहीं करते, लेकिन अगर हम इस तरह रहें और तब भी कोई बुराई पर ही उतर आए तो हमारे पास दूसरा इलाज क्या है? राजा का तो कर्तव्य है प्रजा की रक्षा करना है और राजा अपना कर्तव्य करेगा। गीता में अहिंसा का उपदेश है, लेकिन महाभारत में अर्जुन लड़े। उन्होंने लोगों को मारा क्योंकि उस समय उनके सामने ऐसे लोग थे कि उनका दूसरा इलाज नहीं था।इससे पहले गुरुवार को बोलते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि हिंदू कभी किसी से उसका धर्म पूछकर उसे नहीं मारते। यह लड़ाई धर्म और अधर्म के बीच की है। उन्होंने कहा कि रावण को भी पहले सुधरने का मौका दिया गया था, लेकिन जब उसने बदलाव से इनकार कर दिया, तब राम ने उसका अंत किया। इसके साथ ही भागवत ने आगे कहा कि हमारे दिल में दुख है, हम गुस्से में हैं। लेकिन इस बुराई को खत्म करने के लिए ताकत दिखानी होगी।
इससे पहले गुरुवार को बोलते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा था कि हिंदू कभी किसी से उसका धर्म पूछकर उसे नहीं मारते। यह लड़ाई धर्म और अधर्म के बीच की है। उन्होंने कहा कि रावण को भी पहले सुधरने का मौका दिया गया था, लेकिन जब उसने बदलाव से इनकार कर दिया, तब राम ने उसका अंत किया। इसके साथ ही भागवत ने आगे कहा कि हमारे दिल में दुख है, हम गुस्से में हैं। लेकिन इस बुराई को खत्म करने के लिए ताकत दिखानी होगी।