वोटिंग के पहले ही बिहार की तीन सीटों पर फैसला लगभग तय

खरी खरी संवाददाता
पटना। बिहार विधानसभा के चुनाव मे पहले फेज की वोटिंग के लिए अभी समय है लेकिन तीन सीटों पर हार जीत का फैसला लगभग तय हो गया है। इन सीटों प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के नामांकन रद्द हो जाने से चुनावी समीकरण ही बदल गए। इनमें दो सीटें महागठबंधन की हैं, जबकि एक सीट पर एनडीए को झटका लगा है। इन सीटों में मोहनिया, सुगौली और मढ़ौरा विधानसभा सीटें सामिल हैं।
मोहनिया सीट
सबसे बड़ी चर्चा मोहनिया विधानसभा सीट की है जहां आरजेडी प्रत्याशी श्वेता सुमन का नामांकन रद्द कर दिया गया है। चुनाव आयोग की जांच में यह पाया गया कि श्वेता सुमन ने वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भी मोहनिया से नामांकन किया था, लेकिन तब उन्होंने अपना पता उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले की सकलडीहा विधानसभा के रूप में दर्ज कराया था। इस बार श्वेता सुमन ने बिहार का पता दिया, लेकिन चुनाव आयोग ने उनके दावे को पर्याप्त साक्ष्य के बिना मानने से इंकार कर दिया। आयोग ने कहा कि श्वेता सुमन अब भी उत्तर प्रदेश की मूल निवासी मानी जाएंगी, इसलिए बिहार विधानसभा चुनाव में उनका नामांकन अमान्य करार दिया गया। इस फैसले से आरजेडी को बड़ा झटका लगा है क्योंकि मोहनिया सीट पर पार्टी ने पिछली बार मजबूत उपस्थिति दर्ज की थी। अब महागठबंधन को इस सीट पर नया उम्मीदवार उतारने या किसी सहयोगी दल को समर्थन देने की रणनीति बनानी होगी
सुगौली सीट
पूर्वी चंपारण की सुगौली विधानसभा सीट पर भी महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है। यहां से विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के उम्मीदवार शशि भूषण सिंह का नामांकन तकनीकी खामियों के कारण रद्द कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक, नामांकन पत्र में कुछ आवश्यक दस्तावेज अधूरे थे और सत्यापन के दौरान आयोग को कई विसंगतियां मिलीं। जांच के बाद रिटर्निंग ऑफिसर ने शशि भूषण सिंह का नामांकन अमान्य घोषित कर दिया। इस घटनाक्रम से न सिर्फ वीआईपी बल्कि पूरे महागठबंधन के समीकरण प्रभावित हुए हैं। क्योंकि सुगौली सीट पर एनडीए का मुकाबला महागठबंधन से सीधा माना जा रहा था। अब महागठबंधन को या तो नए प्रत्याशी की घोषणा करनी होगी या स्वतंत्र उम्मीदवार को समर्थन देना होगा।
मढौरा सीट
तीसरा बड़ा झटका एनडीए को छपरा जिले की मढ़ौरा विधानसभा सीट पर लगा है। यहां चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की प्रत्याशी सीमा सिंह का नामांकन रद्द कर दिया गया है। जानकारी के मुताबिक, सीमा सिंह के नामांकन पत्र में आयकर और संपत्ति से संबंधित दस्तावेजों में गंभीर त्रुटियां थीं। सत्यापन के दौरान ये विसंगतियां सामने आने के बाद निर्वाचन पदाधिकारी ने उनका नामांकन रद्द कर दिया। इससे एनडीए की स्थिति मढ़ौरा में कमजोर हुई है। लोजपा (रामविलास) इस सीट पर नए सिरे से उम्मीदवार नहीं उतार सकती क्योंकि नामांकन की समयसीमा खत्म हो चुकी है। अब यह सीट एनडीए के लिए बिना लड़े हार का कारण बन गई है
चुनावी परिदृश्य में बड़ा बदलाव
इन तीन सीटों पर नामांकन रद्द होने की घटनाओं ने बिहार के चुनावी परिदृश्य में एक नया मोड़ ला दिया है। महागठबंधन को मोहनिया और सुगौली में नुकसान हुआ है जहां अब विपक्षी दलों को सीधा फायदा हो सकता है। वहीं एनडीए को मढ़ौरा सीट पर नुकसान हुआ है, जो सारण क्षेत्र में उसकी मजबूत पकड़ वाली सीट मानी जाती थी। राजनीति के जानाकारों का मानना है कि नामांकन प्रक्रिया में यह लापरवाही उम्मीदवारों और दलों की तैयारी पर सवाल उठाती है। ऐसे दौर में जब हर सीट पर मुकाबला कांटे का है, एक भी उम्मीदवार की अयोग्यता सीधे सत्ता संतुलन को प्रभावित कर सकती है।
आगे की रणनीति
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आरजेडी, वीआईपी और लोजपा (रामविलास) इन सीटों पर क्या रणनीति अपनाते हैं। क्या ये दल स्वतंत्र उम्मीदवारों को समर्थन देंगे या गठबंधन के भीतर सीट समायोजन का नया फार्मूला सामने आएगा? फिलहाल इतना तय है कि बिहार चुनाव 2025 की शुरुआत तीन हार और कई सवालों के साथ हुई है और इन तीन सीटों की कहानी कहीं इस चुनाव के शुरुआती राजनीतिक नतीजों की ओर तो इंगित नहीं कर रहे हैं!