लाल किले पर महानाट्य के मंचन ने दर्शकों का मन मोह लिया

खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली। सम्राट विक्रमादित्य की शौर्यगाथा देश को सुनाने और दिखाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दिल्ली के लाल किले में आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य मंचन समारोह का समापन सोमवार को हो गया। इस तीन दिवसीय समारोह में तीनों दिन दर्शकों की भीड़ बनी रही। समापन अवसर पर सीएम मोहन यादव ने कहा कि जब सुशासन की बात होती है, तब विक्रमादित्य का नाम लिया जाता है। इस नाटक को करने के लिए कलाकारों ने बहुत मेहनत की है।
सम्राट विक्रमादित्य की शौर्यगाथा 12 से 14 अप्रैल तक दिल्ली के लाल किले से गूंजी। मध्यप्रदेश सरकार के आयोजन विक्रम महोत्सव के तहत दिल्ली के लाल किले पर सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन किया गया। इसका उद्घाटन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया था। अद्भुत-अकल्पनीय-रोमांचक..।’ 250 कलाकार जब सम्राट विक्रमादित्य का जीवन जीवंत करने मंच पर उतरे तो पूरा कार्यक्रम स्थल आश्चर्य में डूब गया। तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा माधवदास पार्क गूंज उठा। दर्शकों को यकीन ही नहीं हुआ कि डिजिटल मूवी और रील्स के इस युग में इस तरह का कोई कार्यक्रम भी हो सकता है। दर्शक टकटकी लगाए पूरे नाटक को देखते रहे। दर्शकों ने महानाट्य से प्रेम, दयाशीलता, वीरता, साहस, विनम्रता, संघर्ष, देशप्रेम की प्रेरणा ली।
लाल किले में आयोजित सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य महामंचन का 14 अप्रैल को तीसरा और अंतिम दिन था। इस मौके पर दर्शकों ने एक तरफ सम्राट विक्रमादित्य के जीवन से जुड़ी प्रदर्शियां देखीं, तो दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के व्यंजनों का भी आनंद लिया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि देश की राजधानी में लाल किले की प्राचीर पर निरंतर तीन दिन ऐतिहासिक महानाट्य सम्राट विक्रमादित्य का मंचन उस युग को जीवंत करने का प्रयास है, जो विश्व में भारत द्वारा सुशासन और लोकतांत्रिक व्यवस्था को स्थापित करने की पहल से अवगत करवाता है। फिल्मों के निर्माण और डिजिटल युग के बावजूद प्राचीन नाट्य परम्परा से परिचित करवाने वाले इस महानाट्य के अंश स्मरणीय रहेंगे।