मुस्लिम महिला पुलिस अफसर ने लगाए जयश्रीराम के नारे

खरी खरी संवाददाता
ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में एक मुस्लिम महिला पुलिस अफसर ने जयश्री राम के नारे लगाकर न सिर्फ कथित सनातनी आंदोलनकारियों को करारा जवाब दिया बल्कि एक बड़े टकराव को भी अपनी सूझबूझ से टाल दिया। महिला पुलिस आफीसर का नाम हिना खान है जो ग्वालियर में सीएसपी हैं। आंदोलनकारी हिंदू रक्षक मंच नामक संगठन से जुड़े वे वकील थे तो हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ के परिसर में बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा लगाए जाने की मुखालफत कर रहे हैं। इसके चलते मूर्ति समर्थकों और विरोधियों के बीच टकराव की स्थिति बन गई थी।
दरअसल, यह पूरा मामला ग्वालियर हाईकोर्ट की खंडपीठ परिसर में बाबा साहेब डॉ। भीमराव आंबेडकर की 10 फुट ऊंची मूर्ति लगाने के प्रस्ताव से जुड़ा है। इस मामले की शुरुआत 19 फ़रवरी, 2025 को शुरू हुई, जहां ग्वालियर हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैट से कुछ वकीलों ने खंडपीठ परिसर में भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा लगाने की अनुमति मांगी थी। अनुमति मांगने वालों में अधिवक्ता विश्वजीत रतोनिया, धर्मेंद्र कुशवाह और राय सिंह ने ज्ञापन सौंपा था। उस समय चीफ़ जस्टिस ने मौखिक सहमति दे दी। इसके बाद, ज़िला अदालत स्तर पर एक समिति का गठन किया गया। पीडब्ल्यूडी ने परिसर में मूर्ति के लिए प्लेटफॉर्म का निर्माण किया। वकीलों ने दान इकट्ठा किया और मूर्ति का ऑर्डर दिया।इसके बाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने विरोध जताया। उनका तर्क था कि बार को मूर्ति स्थापना के बारे में जानकारी नहीं दी गई थी और बिल्डिंग कमेटी से अनुमति नहीं ली गई थी। इस कारण विवाद और तनाव बढ़ने लगा। इस विवाद में आंबेडकर की मूर्ति का विरोध करने वालों में अनिल मिश्रा भी थे। पिछले दिनों उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें अनिल मिश्रा, आंबेडकर को लेकर विवादित टिप्पणी कर रहे थे। डॉ। भीमराव आंबेडकर को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद अनिल मिश्रा पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 223, 353(2) और 196(1) के तहत मामला दर्ज किया गया। वहीं हाईकोर्ट पीठ के अंदर आंबेडकर की मूर्ति लगाने की अनुमति मांगने वाले वकीलों में शामिल विश्वजीत रतोनिया का कहना है कि मूर्ति से अनिल मिश्रा के अलावा शायद ही किसी को दिक्क़त हो। उन्होंने कहा, “जो पहला ज्ञापन दिया गया था उसमें हस्ताक्षर करने वालों में बड़ी तादाद में सभी वर्ग के लोग थे। अनिल मिश्रा ने समाज को विभाजित करने का काम किया है।इस मामले को लेकर तनाव चल ही रहा था और पूरे शहर में पुलिस बल तैनात था। इसके साथ ही अनिल मिश्रा पर पुलिस ने नज़र रखी हुई थी।ऐसी परिस्थितियों के बीच उन्होंने मंगलवार को स्थानीय मंदिर में हनुमान चालीसा पढ़ने का एलान किया था। इसको देखते हुए इलाके़ में भारी पुलिस बल मौजूद था। फूलबाग इलाक़ा हाई कोर्ट के क़रीब ही है इसलिए वहां पर भी पुलिस बल तैनात था। यहीं पर हिना ख़ान ने उन्हें और उनके समर्थकों को रोकने की कोशिश की थी। अनिल मिश्रा और उनके समर्थकों ने उन्हें ‘सनातन धर्म विरोधी’ बताया जिसके जवाब में हिना ख़ान ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए। हिना ने आंदोलकारियों से कहा कि श्री राम किसी एक के नहीं हैं। मामले पर अनिल मिश्रा ने कहा, “जो उन्होंने नारे लगाए वह दबाव में लगाए गए थे। हमारा रामचरितमानस का पाठ हनुमान मंदिर में होना था, लेकिन सीएसपी ने मंदिर में ताला लगवा दिया और हमें दर्शन से वंचित कर दिया। हमने इसका विरोध किया और आगे भी करते रहेंगे। अगर हमारे मंदिरों पर ताले लगाए जाएंगे, तो विरोध स्वाभाविक है।” दरअसल स्थानीय पुलिस ने इलाक़े में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की थी।
आदेश के अनुसार, प्रभावित इलाक़ों में नारेबाज़ी, सभा, प्रदर्शन, भीड़ इकट्ठा करने पर रोक थी। अनिल मिश्रा के भीमराव आंबेडकर को लेकर दिए गए बयान के बाद भीम आर्मी, आज़ाद समाज पार्टी और ओबीसी महासभा जैसे संगठनों ने 15 अक्तूबर को विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी। हालांकि, प्रशासन से बातचीत के बाद प्रदर्शन वापस ले लिया गया था। इसके बावजूद शहर में तनाव की स्थिति बनी हुई है और सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। पूरे शहर में भारी पुलिस बल तैनात है और कुछ स्कूल सुरक्षा कारणों से बंद कर दिए गए हैं यह विवाद अब सिर्फ़ एक प्रतिमा तक सीमित नहीं रहा। इसको प्रदेश के दूसरे स्थानों पर भी महसूस किया जा रहा है। जाति विवाद को लेकर किसी तरह के संघर्ष की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने पूरे शहर में 4 हज़ार पुलिसकर्मियों की तैनाती की है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक़, इस विवाद की वजह से शहर भर से लगभग 500 से ज़्यादा भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट हटाई गई हैं, जबकि 700 अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी संवेदनशील इलाक़ों में तैनात किए गए हैं