मप्र में धूमधाम से मनाया गया बजरंगबली का जन्मोत्सव

खरी खरी डेस्क

भोपाल। राम भक्त पवनसुत हनुमान जी का जन्मोत्सव मध्यप्रदेश में हर तरफ धूमधाम से मनाया गया। मंदिरों में सजावट की गई और भगवान का विशेष श्रृंगार किया गया। शिवपुरी के सिंधिया छत्री मंदिर में हनुमान जी को को नौ तोपों की सलामी दी गई। अधिकांश मंदिरों पर भंडारे देर रात तक चलते रहे।

प्रदेश के कई मंदिरों में सुबह 4 बजे से धार्मिक आयोजन शुरु हो गए थे। जबलपुर में बड़े महावीर, छोटे महावीर, रानीताल सहित अन्य मंदिरों में भी हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम से मना गया। इसी तरह सीएम डॉ मोहन यादव ने हनुमान जयंती पर भोपाल एयरपोर्ट स्थित हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की और कार्यक्रम स्थल के लिए रवाना हुए। महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल का स्नान के बाद भगवान को वैष्णव तिलक, भांग, चंदन व सिंदूर अर्पित कर हनुमान जी स्वरूप में श्रृंगार किया गया। इंदौर के रणजीत हनुमान मंदिर को बृजधाम की तरह सजाया गया। मथुरा व वृंदावन से आए कलाकारों ने रणजीत हनुमान का श्रृंगार किया। साढ़े सात फीट लंबी इलायची की माला भोपाल से तैयार कराई गई थी। शिवपुरी में सिंधिया राजवंश की छत्री में मौजूद हनुमान मंदिर पर 9 छोटी तोपों की सलामी दी गई। मैनेजर अशोक मोहिते ने इन छोटी तोपों को खुद बनाया है। जबलपुर में हनुमान जन्मोत्सव पर जगह जगह हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। रतलाम में हनुमान जयंती पर नेहरू स्टेडियम में सेवावीर परिवार द्वारा 1 लाख 11 हजार 111 बार सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ संतों की मौजूदगी में किया गया. 10 हजार से ज्यादा लोगों ने हनुमान चालीसा का पाठ किया। भोपाल में न्यू मार्केट स्थित हनुमान मंदिर में कांग्रेस के दिग्गज नेता और प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह आम आदमी की तरह दर्शन करते देखे गए। भोपाल के टीला जमालपुरा क्षेत्र में हनुमान जन्मोत्सव पर निकली शोभा यात्रा का मुस्लिम समाज ने स्वागत किया। इस दौरान सांसद आलोक शर्मा भी मौजूद रहे। सीएम डॉ मोहन यादव ने इंदौर में पितृ पर्वत पर कहा कि पितृ पर्वत पर हनुमान जी का स्वरूप अद्भुत है. यह देवता तो ऐसे हैं कि जो मांगो वह सब मिलता है. सीएम ने कहा कि हमारी सरकार ने तय किया है कि जो गोवंश महानगरों में किसी कारण से कष्ट में है, उनका गोशाला में प्रबंधन करना है. आज नई गोशाला का भूमिपूजन होने जा रहा है. इस दौरान मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला, महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी मौजूद रहे।

 

 

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