मप्र में कर्मचारियों को 8 साल बाद मिलेगा पदोन्नति का तोहफा

खरी खरी संवाददाता
भोपाल। करीब आठ साल से पदोन्नति की राह देख रहे मध्यप्रदेश के लगभग चार लाख कर्मचारियों को बहुत जल्द प्रमोशन का तोहफा मिल सकता है। मुख्यमंत्री डा मोहन यादव ने खुद सोशल मीडिया पर बयान जारी कर इसके संकेत दिए हैं। कई कर्मचारी संगठनों ने इस पर मुख्यमंत्री का स्वागत कर उनके प्रति आभार व्यक्त किया है।
कानूनी और तकनीकी कारणों से मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों को करीब आठ साल से प्रमोशन नहीं मिला है। हजारों कर्मचारी प्रमोशन की राह तकते हुए रिटायर हो गए। कर्मचारी संगठनों की कई बार मांग और कोशिश के बाद भी सफलता नहीं मिली। अब मुख्यमंत्री डा मोहन यादव ने सभी कानूनी और तकनीकी अड़चनों के बीच कर्मचारियों की पदोन्नति का रास्ता निकालने का भरोसा दिलाया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि कई सालों से प्रमोशन की राह देख रहे कई अधिकारी कर्मचारी रिटायर्ड भी हो गए. राज्य सरकार जल्द ही इस मुद्दे पर कैबिनेट में निर्णय लेगी और यह सुखद समाचार सभी कर्मचारी अधिकारियों को जल्द मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, ” राज्य सरकार जल्द ही कैबिनेट में इस संबंध में निर्णय लेने जा रही है। पिछले 8 सालों से पदोन्नति की रूकावट चली आ रही है, जो अब समाप्त होगी। पदोन्नति के संबंध में मुख्यमंत्री स्तर से 12 से ज्यादा बैठकों में विचार विमर्श किया गया है। मंत्रीगण से भी चर्चा की गई और पदोन्नति का रास्ता राज्य सरकार द्वारा तलाश गया है। सरकार चाहती है कि पदोन्नति का रास्ता निकलना चाहिए। बताया जा रहा है कि राज्य सरकार कर्मचारियों को सीनियरटी के आधार पर प्रमोशन दे सकती है। हालांकि, डीपीसी के दौरान किस तारीख से सीनियरटी काउंट होगी यह अभी तय नहीं हुआ है। राज्य सरकार इसे जल्द तय कर सकती है। जिन कर्मचारियों को उच्च प्रभार पहले ही दिया जा चुका है, उन्हें वेतन-भत्तों में भी सरकार लाभ दे सकती है। कर्मचारियों को प्रमोशन देने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा कर्मचारियों के प्रकरणों में दिए गए निर्णय को आधार बनाया जाएगा।
मध्यप्रदेश में पिछले 8 सालों में 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो गए हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद 30 अप्रेल 2016 को प्रमोशन पर रोक लगाई गई थी। दरअसल, 2002 में तत्कालीन सरकार ने प्रमोशन के नियम बनाए थे और इसमें प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान किया था। इसके बाद आरक्षित वर्ग के कर्मचारी अधिकारियों का तो प्रमोशन होता गया, लेकिन अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी अधिकारियों को प्रमोशन का लाभ नहीं मिल सका. इसके बाद कर्मचारियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट ने 30 अप्रेल 2016 को मध्यप्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2002 को खारिज कर दिया. इसके बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने भी यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया और उसके बाद से ही प्रमोशन पर रोक लगी हुई है. वहीं अब प्रमोशन पर सरकार बड़ा फैसला लेने वाली है।