भोपाल में 27% अपराध साइबर ठगी के, पांच साल में 3800% तक बढ़ा ग्राफ… जबकि आसान है बचने का तरीका

भोपाल। डिजिटल दुनिया के विस्तार ने अपराधियों के हाथ में ठगी का नया मायाजाल दे दिया है। अब ठग वेश बदलकर आपसे मिलने का जोखिम नहीं लेते। वे इंटरनेट मीडिया, ई-मेल और स्मार्टफोन के एप के जरिए चारा डालते हैं और एक क्लिक कर आपका खाता खाली कर देते हैं।हालात कितने भयावह हैं, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि अकेले भोपाल के थानों में इस साल जितनी एफआईआर हुई हैं, उनमें 27% केवल साइबर ठगी की शिकायतों पर हुई हैं। राजधानी के 34 पुलिस थानों में इस वर्ष 15 नवंबर तक जहां अपराध के 14 हजार 454 आपराधिक मामले दर्ज हुई हैं।

कुल अपराधों का 27% ऑनलाइन फ्रॉड

वहीं, अकेले साइबर क्राइम सेल में इसी दौरान पांच हजार 463 केस दर्ज हो चुकी हैं। यह कुल अपराधों का 27% है। यह स्थिति तब है, जब हर साइबर अपराध थाने तक नहीं पहुंच पाता है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस साल दर्ज 14 हजार से अधिक मामलों में चोरी, ठगी, छिनैती, जेबकतरी जैसे वित्तीय अपराधों के मामले केवल एक हजार के करीब हैं।

मगर, साइबर क्राइम सेल में जो पांच हजार से अधिक केस आए हैं, उनमें चार हजार मामलों में तो पीड़ित के खातों से रकम उड़ा ली गई है। चोरी, ठगी और छिनैती जैसे वित्तीय अपराधों की तुलना में साइबर ठगों ने सैकड़ों गुना अधिक रकम चुराई है।

यह ठगी कितनी तेजी से बढ़ी है, इसका अंदाजा आप ऐसे लगाइए कि 2019 में भोपाल में दो हजार 792 एफआईआर दर्ज हुई थी, जिसमें एक करोड़ 48 लाख रुपये की ठगी का ब्यौरा था। इस साल के 10 महीनों में ही पांच हजार 491 केस दर्ज हो चुके, जिसमें 55 करोड़ 88 लाख रुपयों की ठगी हुई है। इस साल ठगी जा चुकी रकम 2019 की तुलना में 3800% ज्यादा है।

ठगों ने इन तरीकों से दिया झांसा

  • ओएलएक्स पर बाइक बेचने का एड डाला था। एक व्यक्ति ने मैसेज कर बाइक खरीदने की इच्छा जाहिर की। अगले दिन बाइक लेने के लिए आने से पहले उसने फोन पर भुगतान करने को कहा। उसने पेटीएम के माध्यम से दो रुपये मेरे खाते में भेजे। इसके बाद 50 हजार रुपये की राशि भेजी। साथ ही मुझे पेमेंट स्वीकार करने के लिए पिन डालने का बोला। मैंने पिन डाला तो खाते से रुपये गायब हो गए। पता चला कि उसने मुझे रुपये नहीं भेजे, बल्कि पेमेंट की रिक्वेस्ट भेजी थी। -रवि दुबे, रेलवे कर्मचारी
  • फेसबुक लिंक के माध्यम से ट्रेडिंग एप डाउनलोड किया था। ऐसा दावा था कि वे हर कंपनी के आइपीओ दिलवाते हैं। एप पर नए आइपीओ की जानकारी ठीक उसी तरह दिखती थी, जैसे किसी अन्य एप या वेबसाइट पर नजर आती है। मैंने एक आइपीओ के लिए आठ लाख रुपये का भुगतान किया, लेकिन तय समय पर आइपीओ नहीं मिला, जिसके बाद ठगी का एहसास हुआ। – अरुण पारिख, डॉक्टर, एम्स
  • आईसीआईसीआइ बैंक के प्रतिनिधि का फोन आया। उसने बताया कि क्रेडिट कार्ड के 600 रिवार्ड प्वाइंट्स हैं, उसे रिडीम कर लीजिए। उसने रिडीम करने का तरीका भी बताया। रिडीम की प्रकिया के दौरान उसने ओटीपी भेजा। मेरे नंबर पर ओटीपी बैंक के नाम से आया था, विश्वास कर मैंने उसे बता दिया। फोन कटने के कुछ देर बाद क्रेडिट कार्ड से तीन लाख रुपये कटने का मैसेज आया। – सोनम जैन, व्यापारी
  • किसी व्यक्ति ने मेरे बैंक खाते में 1800 रुपये भेजे थे। अगले दिन फोन कर उसने कहा कि आपने 1800 रुपये का लोन लिया था, उसे 3200 रुपये भरकर चुकाएं। इन्कार किया तो छेड़छाड़ कर मेरे अश्लील फोटो बहुप्रसारित करने की धमकी दी। डरकर मैंने उन्हें रुपये भेज दिए। इसके बाद खाते में पांच हजार रुपये भेजे गए और दस हजार की मांग की। इसके बाद मांग लगातार बढ़ती गई। बाद में दोस्तों और परिवार को बात बताई तथा साइबर पुलिस से शिकायत की। -विजेंद्र यादव, व्यापारी

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