भोपाल एम्स में अगले तीन से चार महीने में हार्ट ट्रांसप्लांट होगा संभव

भोपाल। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल में हृदय प्रत्यारोपण सुविधा शुरू करने की तैयारी जोरों पर है। तीन से चार महीने के भीतर यहां हृदय प्रत्यारोपण हो सकेगा। चार डॉक्टरों और तीन नर्सों की टीम अगले सप्ताह प्रशिक्षण लेने चेन्नई रवाना होगी।वहां एमजीएम हेल्थ केयर अस्पताल में 15 दिनों तक हृदय प्रत्यारोपण के लिए आधुनिक तरीके सीखेगी। बता दें, प्रदेश में इंदौर के एक निजी अस्पताल में एक बार हृदय प्रत्यारोपण हो चुका है। एम्स में हृदय प्रत्यारोपण के लिए मरीज को मात्र तीन लाख रुपये खर्च करना पड़ेंगे। निजी अस्पतालों में हृदय प्रत्यारोपण के लिए 35 से 40 लाख रुपये लगते हैं।
प्रशिक्षण में टीम हृदय प्रत्यारोपण की सर्जरी, उसके पहले की सावधानियों के बारे में सीखेगी। सर्जरी के बाद मरीज की देखभाल करना और आईसीयू व ऑपरेशन थिएटर में ध्यान रखने योग्य बातों का प्रशिक्षण भी लेगी।
हृदय प्रत्यारोपण के लिए यूनिट तैयार
एम्स भोपाल में हृदय प्रत्यारोपण के लिए आधुनिक मशीनें मंगवाई गई हैं। इनमें एक्मो मशीन, हार्ट-लंग्स मशीन, आईएडीपी मशीन, एडवांस कैथलैब आदि सुविधाएं हैं। आईसीयू भी बनकर तैयार हो गया है।
मशीनों की विशेषता
- एक्मो मशीन : जिन मरीजों का हृदय कमजोर होता है, उन्हें प्रत्यारोपण के पहले इस मशीन की सहायता से जीवित रखा जाता है।
- हार्ट-लंग्स मशीन : इस पर मरीज का हृदय प्रत्यारोपण किया जाता है।
- आईएडीपी मशीन : जिस व्यक्ति का हृदय प्रत्यारोपण करने के दौरान हृदय कमजोर होता है, उसे इस मशीन में रखा जाता है।
- एडवांस कैथलैब : यहां ऑपरेशन के बाद मरीजों को रखा जाएगा। इसमें बायोप्सी की जाती है। हृदय ठीक से काम कर रहा है या नहीं, इसकी जांच की जाती है। हृदय के रिजेक्शन का पता लगाया जाता है।