भाजपा ने 46 साल के जीवन काल में खुद को बहुत मजबूत किया

स्थापना दिवस के मौके पर देश भर में हुए कई कार्यक्रम

खरी खरी डेस्क

नई दिल्ली। अपना 46वां स्थापना दिवस मना रही भारतीय जनता पार्टी ने देश की सत्ता पर काबिज होकर वक्त को  अपने अनुसार बदल लिया है। पार्टी फिलहाल 15 राज्यों में अपनी सरकार चला रही है, वहीं इसके नेतृत्व वाला गठबंधन (एनडीए) 21 राज्यों में सत्ता में है। लोकसभा चुनाव 2024 में भले ही बीजेपी की सीटें कम हुई हों, लेकिन उसके बाद विधानसभा चुनावों में पार्टी ने एक के बाद एक शानदार जीत दर्ज कर अपनी ताकत का लोहा मनवाया है। स्थापना दिवस के मौके पर पार्टी के बढ़ते कद की चर्चा हर तरफ है।

पिछले साल महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत ने राजनीतिक पंडितों को हैरान कर दिया। हरियाणा में लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी और महाराष्ट्र में गठबंधन के साथ मजबूत जीत ने पार्टी की रणनीति की मजबूती को दिखाया। लेकिन सबसे बड़ा उलटफेर दिल्ली में देखने को मिला, जहां 27 साल बाद बीजेपी ने फरवरी 2025 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की। 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में बीजेपी ने 48 सीटें जीतकर आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्त दी। यह जीत इसलिए भी खास है, क्योंकि लोकसभा चुनावों में दिल्ली में बीजेपी का दबदबा रहा, लेकिन विधानसभा में वह हमेशा पिछड़ती रही थी। बीजेपी की इस सफलता के पीछे उसकी संगठनात्मक ताकत, जमीनी स्तर पर काम और विपक्ष की कमजोरी को भुनाने की रणनीति को माना जा रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 240 सीटें मिली थीं, जो 2019 की 303 सीटों से कम थीं। विपक्ष ने इसे कमजोरी माना, लेकिन इसके बाद हुए विधानसभा चुनावों ने साबित कर दिया कि बीजेपी का जनाधार अब भी मजबूत है। पार्टी ने न सिर्फ अपने दम पर जीत हासिल की, बल्कि एनडीए के सहयोगियों के साथ मिलकर विपक्ष को चारों खाने चित कर दिया। विपक्षी दलों की तमाम कोशिशों के बावजूद बीजेपी का चक्रव्यूह तोड़ना उनके लिए मुश्किल साबित हो रहा है। इंडिया गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में कुछ हद तक एकजुटता दिखाई, लेकिन विधानसभा चुनावों में यह बिखर गया। हरियाणा में कांग्रेस अकेले लड़ी और हारी, तो महाराष्ट्र में गठबंधन के बावजूद बीजेपी-एनडीए ने बाजी मारी। दिल्ली में आप और कांग्रेस का तालमेल न बन पाना भी बीजेपी के लिए वरदान साबित हुआ।

हाल ही में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को संसद में पास करना बीजेपी और एनडीए की एकजुटता का बड़ा सबूत है। चर्चा थी कि गठबंधन के कुछ दल इस बिल से नाराज हो सकते हैं, लेकिन लोकसभा में 288 और राज्यसभा में 128 वोटों के साथ बिल पास होने से यह साफ हो गया कि एनडीए में कोई दरार नहीं है। जेडीयू, टीडीपी और अन्य सहयोगियों ने बीजेपी का साथ देकर विपक्ष के दावों को खारिज कर दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी की सफलता का राज उसकी आक्रामक रणनीति, पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और विपक्ष की आपसी फूट है। जहां बीजेपी हर चुनाव को गंभीरता से लेती है, वहीं विपक्ष अभी तक एकजुट होकर कोई ठोस रणनीति नहीं बना पाया। आने वाले बिहार चुनाव में भी बीजेपी-एनडीए की नजर मजबूत प्रदर्शन पर है।

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