बिहार में फिर पलट सकते हैं सुशासन बाबू नितीशुमार
खरी खरी संवाददाता
पटना, 4 जनवरी। सुशासन बाबू के नाम से विख्यात बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के फिर पाला बदलने की चर्चाएं सत्ता और सियासत के गलियारों में सरगर्म हो रही हैं। बिहार के नए राज्यपाल आऱिफ मोहम्मद खान के शपथ समारोह में मुख्यमंत्री नितीश कुमार और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की मुलाकात की तस्वीर तमाम संकेत दे रही है। इस तस्वीर में दोनों नेता इस मनोभाव से मिलते दिखाई दे रहे हैं मानो सारे गिले शिकवे भुलाकर दोनों फिर एक होने जा रहे हैं। इस तस्वीर के सामने आने के पहले तेजस्वी के पिता और आरजेडी के सुप्रीमो लालू यादव के इस बयान ने कि नितीश जी के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हैं…. यही संकेत दिए थे।
गुरुवार को जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पत्रकारों ने इस मुद्दे पर सवाल किया तो वो ख़ामोश दिखे, लेकिन राज्य के नए राज्यपाल ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा, “आज शपथ ग्रहण का दिन है, राजनीतिक सवाल मत पूछिए।” हालांकि जेडीयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने लालू के बयान से किनारा करते हुए कहा, “छोड़िए न… लालू जी क्या बोलते हैं, क्या नहीं बोलते हैं ये लालू जी से जाकर पूछिए हमलोग एनडीए में हैं और मज़बूती से एनडीए में हैं।” हालांकि ललन सिंह का यह कहना बहुत मायने नहीं रखता है क्योंकि नीतीश कुमार ने तो यहां तक कहा था कि मिट्टी में मिल जाऊंगा लेकिन फिर से बीजेपी के साथ नहीं जाऊंगा।
बिहार में विधानसभा की 243 सीटें हैं और राज्य के पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू को महज़ 43 सीटों पर जीत मिली थी जबकि उसने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था, हालांकि इसके बाद भी नीतीश कुमार ही राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। पहले उन्होंने एनडीए में रहकर सीएम पद अपना दावा बनाए रखा और फिर अगस्त 2022 में महागठबंधन में आ गए। उनकी पार्टी ने उस वक़्त आरोप भी लगाया था कि जेडीयू को तोड़ने की कोशिश की जा रही थी।
वरिष्ठ पत्रकार नचिकेता नारायण कहते हैं, “दरअसल नीतीश को लेकर नई चर्चा पिछले दिनों बीजेपी के वरिष्ठ नेता और गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान के बाद शुरू हुई।” “एक चैनल के कार्यक्रम में अमित शाह से पूछा गया कि एनडीए ने महाराष्ट्र में बिना सीएम का चेहरा पेश किए बड़ी जीत हासिल की है, तो क्या बीजेपी बिहार में भी ऐसा प्रयोग करना चाहेगी? तो अमित शाह ने कहा मैं पार्टी का सामान्य कार्यकर्ता हूँ। इस तरह के फ़ैसले लेना संसदीय बोर्ड का काम होता है।”
नचिकेता नारायण कहते हैं कि नीतीश को लेकर अमित शाह ने स्पष्ट बयान नहीं दिया और यहीं से नीतीश ने चुप्पी अपना ली है, जो बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश भी हो सकती है ताकि उन्हें विधानसभा चुनावों में साझेदारी में ज़्यादा से ज़्यादा सीटें मिल सकें.
नचिकेता नारायण मानते हैं, “लालू प्रसाद यादव ने नीतीश के लिए दरवाज़ा खुला होने की बात कहकर एक सधी हुई चाल चली है. इसका असर धीरे-धीरे समझ में आएगा. लालू जानते हैं कि एनडीए में किसी भ्रम या टूट का फ़ायदा आरजेडी को होगा.”
दरअसल बिहार में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और नीतीश कुमार की जेडीयू राज्य की एक ऐसी पार्टी है जो आरजेडी या बीजेपी किसी के साथ भी गठबंधन में जा सकती है.
आंकड़े बताते हैं कि नीतीश कुमार की पार्टी अकेले भले ही बहुत कुछ हासिल न कर पाए लेकिन वो जिस गठबंधन में होती है, उसकी ताक़त काफ़ी बढ़ जाती है.
सुरूर अहमद कहते हैं, “बिहार को लेकर जो ख़बरे चल रही हैं या चलाई जा रही हैं, वह काफ़ी दिनों से हो रहा है. लेकिन बीते 15 दिनों से इसमें कुछ ख़ास बातें देखी गईं. पहले 15 दिसंबर से नीतीश महिला सम्मान यात्रा पर जाने वाले थे, जिसे स्थगित कर दिया, फिर प्रगति यात्रा की योजना बनाई गई. लेकिन 25-26 दिसंबर के आसपास नीतीश को लेकर अटकलें गर्म होनी शुरू हो गईं.”
इसी दौरान 19 और 20 दिसंबर को राजधानी पटना में ‘बिहार बिज़नेस कनेक्ट -2024’ का आयोजन हुआ, जिसमें निवेश के अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए. इस कार्यक्रम के आख़िरी दिन नीतीश कुमार को मुख्य अतिथि के तौर पर आना था, लेकिन वो इसमें नहीं आ सके. इस मामले ने भी सियासी अटकलों को काफ़ी हवा दी.