दुष्कर्मी के खिलाफ बयान से मुकरी थी पीडि़ता, डीएनए के आधार पर कोर्ट ने सुनाई 20 साल कैद

रतलाम/आलोट। जिले के ताल थाना क्षेत्र के एक रेप केस में पीड़िता किशोरी, उसके स्वजन के बयानों के बदलने के बाद भी दुष्कर्म का आरोपित डीएनए के आधार पर दोषी पाया गया। न्यायालय ने मेडिकली व डीएनए साक्ष्य के आधार पर आरोपित 22 वर्षीय विजय पुत्र हीरालाल निवासी ग्राम निंबाखेड़ी को किशोरी से दुष्कर्म करने का दोषी पाया। न्यायालय ने उसे भादंवि की धारा 376 (3) में 20 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। उस पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया। फैसला आलोट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप कुमार सोनी ने सुनाया।
अभियोजन के अनुसार करीब 15 वर्षीय किशोरी ने 17 दिसंबर 2020 को ताल थाना पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 16 दिसंबर की दोपहर करीब ढाई बजे वह घर पर अकेली थी। तभी आरोपित विजय उसके घर आया था तथा कहा था कि दस रुपये का दूध दे दो। उसने कहा था कि दूध नहीं है।
इसके बाद वह घर के अंदर गई तो पीछे से विजय भी घर में गया था तथा दरवाजा लगाकर जान से मारने की धमकी देकर उससे दुष्कर्म किया था। शोर मचाने पर उसके चाचा ने आवाज सुनी तथा दरवाजा बजाया। तभी विजय भागा, घर के बाहर खड़े चाचा ने विजय को पकड़ लिया था।
गांव के कई लोग मौके पर आ गए थे। तभी विजय उसके चाचा का हाथ छुड़ाकर भाग गया था। ताल पुलिस ने विजय के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर विवेचना के बाद न्यायालय में चालान पेश किया था। प्रकरण में शासन की तरफ से पैरवी विशेष लोक अभियोजक हेमेंद्र कुमार गोयल ने की।
पीड़िता ने कथनों से मुकरते हुए घटना का समर्थन नहीं किया
विशेष लोक अभियोजक हेमेंद्र कुमार गोयल ने बताया कि प्रकरण दर्ज कर पुलिस ने पीडिता का मेडिकल कराया था। आरोपित विजय को 25 दिसंबर को गिरफ्तार कर उसका भी मेडिकल कराया गया था। आवश्यक साक्ष्य संकलित कर डीएनए जांच भी कराई गई। डीएनए रिपोर्ट पाजीटिव आई।