दमोह के मिशन अस्पताल में फर्जी डाक्टर ने कर डाले आपरेशन

खरी खरी संवाददाता

दमोह। मध्यप्रदेश के दमोह शहर में इसाई मिशनरी द्वारा संचालित मिशन अस्पताल में एक फर्जी कार्डियोलाजिस्ट द्वारा इलाज और आपरेशन के चलते तीन महीने में सात लोगों की मौत हो गई। शिकायत सामने आने के बातद राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले में खामोशी ओढ़ ली है। आरोपी कार्डियालाजिस्ट स्थानीय व्यक्ति है लेकिन वह खुद को यूके का विख्यात कार्डियोलाजिस्ट डाक्टर एम जौन केम बता कर इलाज और आपरेशन कर रहा था।

शिकायतकर्तादीपक पिता जगदीश प्रसाद तिवारी निवासी जबलपुर नाका द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार नगर के मिशन अस्पताल के कार्डियोलाजी विभाग में पिछले माह जनवरी 2025 से फरवरी 2025 तक कई लोगों की मृत्यु कार्डियोलाजी विभाग मिशन अस्पताल दमोह के आयोग्य व अनाधिकृत डाक्टर के इलाज से होना पाया गया है। उक्त मिशन अस्पताल में कार्डियोलाजी विभाग में पिछले डेढ़ माह में डा. एनजोन केम द्वारा इलाज किया गया है। आरोप यह है कि डा. एनजोन केम जो कार्डियोलाजिस्ट बनकर अस्पताल में कार्य कर रहा था। उसका वास्तविक नाम नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव है, जो फर्जी नाम से मिशन अस्पताल के कार्डियो विभाग में कार्य कर रहा था और उसके गलत इलाज से ही मरीजों की मौत हुई है।इस मामले में मिशन अस्पताल प्रबंधन से जुड़े लोगों को भी आरोपों के घेरे में रखा गया है। आरोप हैं कि अस्पताल में कार्डियोलाजी विभाग में जितने लोगों की मृत्यु हुई है, उसकी सूचना भी संबंधित थाने या अस्पताल चौकी को नहीं दी गई है। साथ ही गलत इलाज से मृत व्यक्तियों के स्वजन को समझा बुझाकर उनसे मोटी फीस वसूल कर उन्हें बिना पोस्टमार्टम कराए परिजनों को शव के जाने दिया गया।इस पूरे मामले में अस्पताल के प्रबंधक संजीव लेम्बर्ड व विजय लेम्बर्ड व दिलीप खरे आरोपों के घेरे में हैं। उक्त समयावधि के दौरान अस्पताल में कार्यरत बताए गए डा. एन जान केम ने स्वयं को विदेश से शिक्षित और प्रशिक्षित प्रदर्शित किया था, लेकिन शिकायतकर्ताओं के अनुसार उक्त डाक्टर नरेन्द्र विक्रमादित्य यादव उर्फ डा. एन जान केम का स्पष्ट रिकार्ड नहीं है और उसने यूनाईटेड किंगडम के जानेमाने हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर जान केम के नाम का दुरूपयोग किया है। बताया यह भी जा रहा है कि यह जान केम सेंट जार्ज यूनिवर्सिटी ाफ लंदन से हैं और इस नाम के डाक्टर द्वारा एक समाचार पत्र में उनकी पहचान छिपाए जाने का दावा भी किया गया है।

बताया जा रहा है कि मिशन अस्पताल प्रबंधन द्वारा कुछ समय पूर्व ही अस्पताल में कार्डियोलाजी विभाग को शासन की योजना से जोड़ा गया था। इसके चलते बहुत से लोग इस सुविधा के लाभ के लिए मिशन अस्पताल में इलाज कराने आए थे जिनके इलाज के नाम पर आयुष्मान योजना से भी राशि ली गई है। इसके अलावा भी आयुष्मान योजना का सही तरीके से क्रियान्वयन ना होने के आरोप लगाए गए हैं।

 

 

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