जेलेंस्की बोले- भारत चाहे तो रूस-यूक्रेन जंग रुक सकती है

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा है कि अगर भारत और वहां के लोग रूस के प्रति अपना रवैया बदल लें तो यह जंग खत्म हो सकती है और पुतिन खुद ही यह फैसला लेंगे। भारत का रूस की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है।

शुक्रवार को PM मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक के बाद जेलेंस्की ने कहा, “हमने भारत के रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर चर्चा की। जंग की वजह से दुनिया में रूस पर ट्रेड से जुड़ी कई तरह की पाबंदियां लगी हुई हैं। लेकिन इस बीच भारत के दरवाजे खुले हैं। अगर भारत रूस से तेल आयात करना बंद कर देगा तो यह पुतिन के लिए बड़ी चुनौती होगी।”

‘पुतिन को भारत-चीन से मिल रही अरबों रुपए की मदद’
जेलेंस्की ने कहा, “युद्ध के बीच भारत और चीन से आ रहे अरबों रुपए ने पुतिन की मदद की है। हमें रूस को हथियार बनाने के लिए पैसे देना बंद करना होगा।” यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कहा कि पुतिन भारत के PM मोदी का सम्मान नहीं करते हैं। इसी वजह से उन्होंने मोदी की रूस यात्रा के दौरान यूक्रेन के अस्पताल पर हमला किया।

रूस-यूक्रेन जंग से जुड़े UN प्रस्ताव पर भारत के रुख को लेकर जेलेंस्की ने कहा, “मैं खुश नहीं हूं कि हमें भारत का साथ नहीं मिला। हम अब अगली बार प्रस्ताव पेश होने से पहले उनसे बात करने की कोशिश करेंगे। हम चाहते हैं कि भारत हमारे पक्ष में हो। भारत जंग रुकवाने में अहम भूमिका निभा सकता है।”

मोदी और जेलेंस्की की द्विपक्षीय बैठक के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने कीव में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा, “आज वैश्विक समुदाय के लिए यह जरूरी है कि तेल के दामों में स्थिरता बनी रहे। भारत तेल का एक बड़ा कंज्यूमर और इम्पोर्टर है।”

जयशंकर बोले- तेल खरीदने का फैसला मार्केट पर निर्भर
विदेश मंत्री ने कहा कि तेल खरीदने के पीछे मार्केट स्ट्रैटजी है। यह पूरी तरह से बाजार की हालत पर निर्भर करता है। ईरान और वेनेजुएला जैसे तेल के बड़े सप्लायर जो पहले भारत को तेल बेचते है आज उतनी आजादी के साथ ऑपरेट नहीं कर पा रहे हैं। ये सब वजहें भारत की तेल खरीदने की नीति पर प्रभाव डालती हैं।

दूसरी तरफ जेलेंस्की के साथ बैठक के दौरान PM मोदी ने कहा कि भारत जंग को लेकर कभी तटस्थ नहीं रहा है। हम पहले दिन से शांति के पक्ष में रहे हैं। हम बुद्ध की धरती से आए हैं, जहां युद्ध का कोई स्थान नहीं है। हम महात्मा गांधी की धरती से आते हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया को शांति का संदेश दिया है।

‘भारत के लिए क्षेत्रीय अखंडता सबसे अहम’
मोदी ने कहा, “भारत के लिए संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान सबसे जरूरी है। मैं कुछ दिन पहले रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मिला था। तब मैंने उनकी आंख से आंख मिलाकर कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है।”

PM मोदी ने कहा कि शांति के हर प्रयास में भारत सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है। अगर व्यक्तिगत तौर मैं कोई योगदान कर सकता हूं, तो एक मित्र की तरह मैं यह जरूर करना चाहूंगा।

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