चीन-रूस-भारत की दोस्ती से परेशान हुए ट्रंप

खरी खरी डेस्क

वाशिंगटन । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत, रूस और चीन की तिकड़ी पर टिप्पणी की है। उन्होंने ट्रुश सोशल पर लिखा, “ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को गहरे, अंधेरे चीन के हाथों खो दिया। उम्मीद करता हूं कि उनकी साझेदारी लंबी और समृद्ध हो।”

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से जब ट्रंप की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा, “मुझे इस पर कुछ नहीं कहना है।” इसी सप्ताह सोमवार को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में मुलाक़ात की। यह संकेत है कि चीन और भारत के बीच जमी बर्फ़ पिघल रही है, और इसका बड़ा कारण ट्रंप के भारत पर लगाए टैरिफ़ हैं जिन्होंने भारत और अमेरिका की दोस्ती पर बुरा असर डाला है। ग्लोबल ट्रेड पर डोनाल्ड ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति ने दुनिया के आर्थिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण को हिला कर रख दिया है। चीन, रूस और भारत की उभरती हुई तिकड़ी इस बात का मज़बूत उदाहरण है कि कैसे बदली हुई परिस्थितियों में एक-दूसरे के प्रतिद्वंद्वी समझे जाने वाले देश साथ आ सकते हैं।

ब्रिटिश मीडिया संस्थान एलबीसी को दिए एक हालिया इंटरव्यू में बोल्टन ने कहा कि चीन अब ख़ुद को अमेरिका का विकल्प पेश करने की कोशिश कर रहा है।

जॉन बोल्टन ने कहा, “मोदी की चीन में मौजूदगी मुझे पूरी तरह से ट्रंप के कारण लगती है। पिछले कई महीनों में ट्रंप ने भारत के साथ जिस तरह का व्यवहार किया है, उसने दशकों की मेहनत को पीछे धकेल दिया है।” उन्होंने कहा, “भारत को रूस से दूर करके यह समझाने की कोशिश की गई थी कि भारत के लिए सबसे बड़ा ख़तरा चीन है, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। एससीओ समिट के दौरान पीएम मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग एक साथ खड़े थे। बोल्टन से पूछा गया कि क्या वह इसे बदलते वर्ल्ड ऑर्डर के रूप में देखते हैं?

जवाब में बोल्टन कहते हैं, “मुझे लगता है कि चीन उस कोशिश का हिस्सा ज़रूर है जिसमें वह ख़ुद को अमेरिका या कम से कम डोनाल्ड ट्रंप के विकल्प के तौर पर ज़िम्मेदार शक्ति के रूप में पेश करना चाहता है।”

सितंबर, 2025 में 17-19 तारीख़ तक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ब्रिटेन में रहेंगे। ट्रंप के दौरे से पहले एलबीसी ने जॉन बोल्टन का इंटरव्यू लिया है।

मोदी और ट्रंप के संबंधों पर बोल्टन ने कहा, “ट्रंप के मोदी से व्यक्तिगत रिश्ते काफ़ी अच्छे थे, लेकिन अब वह ख़त्म हो चुके हैं।”

उन्होंने कहा, “यह सभी के लिए एक सबक है कि अच्छा निजी रिश्ता कभी-कभी मदद कर सकता है लेकिन यह आपको सबसे बुरे नतीजों से नहीं बचा सकता।”ब्रिटिश मीडिया संस्थान एलबीसी को दिए एक हालिया इंटरव्यू में बोल्टन ने कहा कि चीन अब ख़ुद को अमेरिका का विकल्प पेश करने की कोशिश कर रहा है.

जॉन बोल्टन ने कहा, “मोदी की चीन में मौजूदगी मुझे पूरी तरह से ट्रंप के कारण लगती है. पिछले कई महीनों में ट्रंप ने भारत के साथ जिस तरह का व्यवहार किया है, उसने दशकों की मेहनत को पीछे धकेल दिया है.”

उन्होंने कहा, “भारत को रूस से दूर करके यह समझाने की कोशिश की गई थी कि भारत के लिए सबसे बड़ा ख़तरा चीन है, लेकिन अब हालात बदल गए हैं.”

एससीओ समिट के दौरान पीएम मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग एक साथ खड़े थे. बोल्टन से पूछा गया कि क्या वह इसे बदलते वर्ल्ड ऑर्डर के रूप में देखते हैं?

जवाब में बोल्टन कहते हैं, “मुझे लगता है कि चीन उस कोशिश का हिस्सा ज़रूर है जिसमें वह ख़ुद को अमेरिका या कम से कम डोनाल्ड ट्रंप के विकल्प के तौर पर ज़िम्मेदार शक्ति के रूप में पेश करना चाहता है.”

सितंबर, 2025 में 17-19 तारीख़ तक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ब्रिटेन में रहेंगे. ट्रंप के दौरे से पहले एलबीसी ने जॉन बोल्टन का इंटरव्यू लिया है.

मोदी और ट्रंप के संबंधों पर बोल्टन ने कहा, “ट्रंप के मोदी से व्यक्तिगत रिश्ते काफ़ी अच्छे थे, लेकिन अब वह ख़त्म हो चुके हैं.”

उन्होंने कहा, “यह सभी के लिए एक सबक है कि अच्छा निजी रिश्ता कभी-कभी मदद कर सकता है लेकिन यह आपको सबसे बुरे नतीजों से नहीं बचा सकता.”

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